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सिद्धसाधक, सिद्धयोगी, सिद्धपुरुष थे जयाचार्य : साध्वी डॉ गवेषणाश्री

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'सिद्धपुरुष के सिद्धमंत्रों का' हुआ महानुष्ठान
 मासखमण एवं अठाई तपस्वी का हुआ तपोभिनन्दन

माधावरम। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट, चेन्नई के तत्वावधान में युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वीश्री डॉ गवेषणाश्रीजी के सान्निध्य में 'सिद्धपुरुष के सिद्धमंत्रों का' महानुष्ठान हुआ। 
 साध्वी श्री डॉ गवेषणाश्रीजी ने कहा, जैन धर्म में अनेक आचार्य सिद्धपुरुष के रूप में हुए है। उन्हीं में से तेरापंथ धर्मसंघ के एक सिद्धसाधक, सिद्धयोगी और सिद्धपुरुष आचार्य थे- आचार्य जीतमलजी। जो मंत्र विद्या के विशेषज्ञ, प्रयोग धर्मा, तेरापंथ इतिहास के पुरौधा, सबको साथ लेकर चलने वाले नीति विशारद के नेता, गंभीर निर्णायक और भविष्य के दिशा बोधक थे।
 साध्वी श्री मयंकप्रभाजी ने कहा- जयाचार्य ने अपने जीवन के साधनाकाल में अनेक मंत्रों की साधना एवं रचना की। आज भी तेरापंथ धर्मसंघ में उन मंत्रों का प्रभाव देखने को मिलता है। साध्वी श्री दक्षप्रभाजी के मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुईं। साध्वी श्री मेरुप्रभाजी ने तपस्वी की अनुमोदना में सुमधुर गीतका प्रस्तुत की। कार्यक्रम में विशेष सिद्धमंत्रों का जप करवाया गया एवं उनका प्रभाव बताया।

    - : तपोभिनन्दन : -
श्रीमती विमला सिंघवी ने साध्वीश्रीजी के सान्निध्य में मासखमण तप का एवं श्रीमती शांतिबाई ओस्तवाल ने अठाई  तप का प्रत्याख्यान किया। ट्रस्ट की ओर से मंत्री श्री पुखराज चोरडिया, अभातेयुप राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रमेश डागा, तेयुप अध्यक्ष श्री संदीप मुथा, श्री माणकचंद रांका ने तपस्वी बहिन का सम्मान किया। संचालन श्री सुरेश रांका एवं धन्यवाद ज्ञापन श्री प्रवीण सुराणा ने दिया।

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