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तेरापंथ समाज के लिए गौरव के समान है महासभा जैसी महारथी संस्था : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

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 -महातपस्वी की मंगल सन्निधि में संस्था शिरोमणि महासभा के सभा प्रतिनिधि सम्मेलन का शुभारम्भ

 

-देश-विदेश से करीब 525 क्षेत्रों से 1800 प्रतिनिधि बन रहे हैं संभागी

 

 

-प्रतिनिधियों को साध्वीप्रमुखाजी ने किया उद्बोधित

 

सूरत।सूरत शहर के वेसु में स्थित भगवान महावीर युनिवर्सिटी परिसर में चतुर्मास कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में गुरुवार से तेरापंथ धर्मसंघ की ‘संस्था शिरोमणि’ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के तत्त्वावधान में आयोजित सभा प्रतिनिधि सम्मेलन के त्रिदिवसीय कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। प्रातः 8.15 बजे महासभा के अध्यक्ष  मनसुखलाल सेठिया,महामंत्री  विनोद बैद के नेतृत्व में महासभा के पदाधिकारियों व प्रतिनिधियों ने युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के मुखारविन्द से मंगलपाठ का श्रवण किया। तदुपरान्त महावीर समवसरण में उपस्थित प्रतिनिधियों के समक्ष महासभा के अध्यक्ष श्री मनसुखलाल सेठिया ने सम्मेलन के शुभारम्भ की घोषणा करते हुए श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया। इस दौरान सभागीत को प्रस्तुति दी गई। तत्पश्चात चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष संजय सुराणा, तेरापंथी सभा-सूरत के अध्यक्ष श्री मुकेश बैद,पर्वतपाटिया के अध्यक्ष गौतम ढेलड़िया व उधना सभा के अध्यक्ष  निर्मल चपलोत ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। महासभा के टीम ने गीत का संगान किया। महासभा के प्रतिनिधि सम्मेलन के इस प्रथम सत्र का संचालन महासभा के महामंत्री श्री विनोद बैद ने किया। 

 

जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के इस प्रतिनिधि सम्मेलन में भाग लेने के लिए देश-विदेश की लगभग 525 सभाओं व उपसभाओं से लगभग 1800 से अधिक प्रतिनिधि उपस्थित हो चुके हैं। हालांकि प्रतिनिधियों के पहुंचने का क्रम अभी भी जारी है। 

 

जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित विशाल जनमेदिनी तथा तेरापंथी सभाओं के प्रतिनिधियों को आयारो आगम के माध्यम से पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी जब वृद्ध हो जाता है तो शरीर में शिथिलता हो जाती है। आदमी बहुत ज्यादा कार्य नहीं कर सकता। इस वृद्धावस्था में कई-कई वृद्धों की बहुत अच्छी सेवा उनके द्वारा परिवार द्वारा होती है, अच्छी सेवा व सहयोग देते हैं। कई बार वृद्धों को वृद्धाश्रम भेजने आदि की बात भी सामने आती है। कई बार किसी-किसी वृद्धि के जीवन में कठिनाई, परिवार में कलह आदि की स्थिति बन जाए तो वैसे लोग चित्त समाधि केन्द्र में रहते हैं तो पारिवारिक जीवन से मुक्ति मिल सकती है और वहां अपना धर्म, ध्यान, सेवा, साधना आदि का कार्य हो सकता है तथा वहां आत्मकल्याण की दृष्टि से अच्छा कार्य हो सकता है। आयारो आगम में कहा गया है कि इस असार संसार में कोई किसी का त्राण और शरण नहीं बन सकता। भारत के पास संत संपदा, ग्रंथ संपदा और पंथ संपदा भी है। पंथों से पथदर्शन, ग्रंथों से ज्ञान और संतों सद्प्रेरणा प्राप्त हो। इनसे प्रेरणा लेकर आदमी को अपने कर्त्तव्य के प्रति जागरूक रहने का प्रयास करना चाहिए। 

 

आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने उपस्थित जनता व सभा प्रतिनिधि सम्मेलन के संभागियों को संबोधित किया। मुनि निकुंजकुमारजी ने आचार्यश्री से 31 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। तदुपरान्त अनेकानेक तपस्वियों ने अपनी-अपनी धारणा के अनुसार तपस्या का प्रत्याख्यान किया। लगभग 27 तपस्वियों ने मासखमण की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। 

 

युगप्रधान आचार्यश्री के मंगल सन्निधि में स्वतंत्रता दिवस से प्रारम्भ त्रिदिवसीय सभा प्रतिनिधि सम्मेलन के मंचीय उपक्रम प्रारम्भ हुआ। महासभा के अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया ने इस संदर्भ में अपनी अभिव्यक्ति देते हुए आचार्यश्री महाश्रमण आरोग्य योजना, आचार्य महाश्रमण इण्टरनेशनल स्कूल आदि अनेक योजनाओं के शुभारम्भ की घोषणा की। तदुपरान्त महासभा के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि विश्रुतकुमारजी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। 

 

इस संदर्भ में शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन आशीष प्रदान करते हुए कहा कि व्यक्ति एक इकाई होती है और अनेक व्यक्तियों से मिलकर समाज व संगठन बन सकता है। व्यक्ति में रूप में रहना भी एक पद्धति है और समूहिक जीवन में समाज व संगठन की बात भी आती है। तेरापंथ समाज में तेरापंथी महासभा/सभाएं सामने आईं। धर्मसंघ की दृष्टि से महासभा व सभा कितनी जिम्मेवार होती हैं। साधु, साध्वियों,समणियों के यात्रा,विहार,प्रवास,चतुर्मास आदि कार्यों को अच्छे रूप में करने का प्रयास करती है। आज तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन महासभा के तत्त्वावधान में हो रहा है। महासभा का रूप निखरा हुआ प्रतीत हो रहा है। तेरापंथी सभाएं काफी जिम्मेवार होती हैं। इनके होने से कार्य कितना सुव्यवस्थित हो जाता है। महासभा जैसी महारथी संस्था समाज के लिए गौरव के समान है। समाज की धार्मिक-आध्यात्मिक सार-संभाल आदि का कार्य अच्छे रूप में होता रहे। सभी में खूब धार्मिक चेतना व जागरणा बनी रहे। आचार्यश्री के मंगल पाथेय के उपरान्त चतुर्मास प्रवास व्यस्था समिति के अध्यक्ष श्री संजय सुराणा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। इस कार्यक्रम का संचालन महासभा के महामंत्री  विनोद बैद ने किया। 

 

इसके पूर्व प्रातःकाल की मंगल बेला में भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस की धूम की चातुर्मास प्रवास स्थल में दिखाई दे रही थी। चारों ओर लहराता तिरंगा झण्डा भारत के वैभव की गाथा गा रहा था। लगभग साढ़े सात बजे चार्मास प्रवास व्यवस्था समिति की ओर से ध्वजारोहण का उपक्रम समायोजित हुआ। जहां आचार्यश्री महाश्रमणजी स्वयं पधारे और पावन आशीर्वाद प्रदान किया। तदुपरान्त चार्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष संजय सुराणा व जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया द्वारा ध्वजारोहण कर उपस्थित लोगों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं प्रदान की गईं। 

 

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