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कन्हैया तू साक्षात् नारायण है,कुंती की कन्हैया की स्तुति

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सुरत।न्यू सिटी लाइट मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के पास श्री देवसर माताजी मंदिर बैंक्विट हॉल में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन गुरुवार को व्यास पीठ से भागवताचार्य गोपालकृष्ण महाराज ने उत्तरा द्वारा भगवान कृष्ण से अपने गर्भ की रक्षा करना और भगवान द्वारा अंगूठे जितना रूप धारण कर उतरा के गर्भ में प्रवेश कर ब्रह्मास्त्र से रक्षा करने के प्रसंग का वर्णन किया। इस प्रसंग से भगवान का एक नाम उत्तरायण पड़ा। उसके बाद कुंती द्वारा कृष्ण की स्तुति कर कहा कि आज मैं पहचान गई की तू सिर्फ मेरा भतीजा ही नहीं बल्कि साक्षात् नारायण है ।उसके बाद कुंती द्वारा कन्हैया से वरदान मांगा और कहा कि मेरी जिंदगी में सदा कष्ट वह विपत्ति आती रहे, क्योंकि विपत्ति में सदा  हरि स्मरण होता रहता है। उसके बाद पांडवों का द्रोपदी के साथ भीष्म पितामह के पास जाने के प्रसंग का वर्णन किया ,भीष्म  ने कहा कि मेरे अंतिम समय में कन्हैया  के  पैरों की रज मेरे सर के ऊपर पड़े ।भीष्म पितामह ने कहा कि जब तक मैं देह का त्याग ना करूं तब तक कन्हैया तू मेरे सामने ही खड़े रहना ।कथा के मनोरथी कमल मस्कारा, अरुण मस्करा एवं पवन मस्कारा परिवार है। कथा में विजय महिपाल एवं पवन महिपाल सहित कई गणमान्य उपस्थित थे। कथा के बीच हरे कृष्णा ,...हरे कृष्णा .... कृष्णा  कृष्णा...हरे हरे... धुन से श्रोता भाव विभोर हुए।

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