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उपयोगिता होती है महत्त्वपूर्ण : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

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कोटेश्वर-मोटेरा का जगा सौभाग्य, दूसरे दिन सायं तक विराजे शांतिदूत महाश्रमण

-मंगल प्रवचन का मिला लाभ, कोटेश्वर-मोटेरावासी हुए गदगद

कोटेश्वर, अहमदाबाद।एकदिवसीय कोटेश्वर-मोटेरा में मंगल प्रवास के लिए रविवार को पहुंचे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता,अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी की ऐसी कृपा हुई कि उसे पाकर कोटेश्वर-मोटेरावासी निहाल हो उठे। क्योंकि सोमवार को प्रातः विहार कर आचार्यश्री को साबरमती की ओर पधारना था, किन्तु किसी कारणवश आचार्यश्री का प्रातःकाल विहार नहीं हो पाया और आचार्यश्री ने सायं तक का मंगल प्रवास कोटेश्वर के शाश्वत स्कूल ही फरमा दिया इसके साथ मंगल प्रवचन कार्यक्रम भी रविवार को आयोजित होने वाले स्थान पर ही रखा गया। सौभाग्य से प्राप्त चंद घंटे मानों कोटेश्वर-मोटेरा वासियों के लिए किसी सौगात से कम नहीं था। सभी के खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। 

जैन जयतु शासनम् समवसरण में आयोजित मंगल प्रवचन में आचार्य श्री ने कहा नौका नदी, समुद्र आदि को पार करने के उपयोग आती है। नौका में छेद न होना ही अच्छा होता है क्योंकि यदि नौका में छेद होगा तो वह डुबोने वाली बन जायेगी वहीं बिना छेद वाली नौका पार पहुँचाने वाली होती है। एक ओर नौका में छेद न होना अच्छा है तो दूसरी ओर चलनी के छेद का महत्व भी है। मुख्यता है उपयोगिता की। हमें उस पर चिंतन करना चाहिए। कहीं विशालता की अपेक्षा होती है तो कही संक्षिप्तता की अपेक्षा। छोटे की अपनी उपयोगिता है व बड़े की अपनी। नाक में छेद होता है तो हम आराम से साँस ले सकते हैं व उसके बंद हो जाने पर साँस लेने में दिक्कत हो सकती है। अपनी जगह सबका उपयोग होता है। 

गुरुदेव ने आगे कहा की कोई ऐसा अक्षर नहीं जो मन्त्र न बन सके, कोई ऐसी जड़ी-बूंटी नहीं जिससे औषध न बने व कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जिसमें कोई विशेषता न हो। लेकिन कहाँ-क्या व किसकी उपयोगिता है, इसका विवेचन जरूरी है। मुख्य बात है: किस अर्हता व जानकारी का कहाँ उपयोग किया जाए ? पत्थर का मूर्ति बनाने में भी उपयोग हो सकता है व दीवार तथा जमीन बनांने में भी। छेद की बात करें तो आश्रव कर्म आगमन का छेद है, इसे बंद करके हमें संवर की साधना करनी है। आश्रव को रोक कर कर्मों के द्वार को बंद किया जा सकता है। आचार्यश्री ने साध्वी प्रमिलाकुमारीजी के सिंघाड़े को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। 

कार्यक्रम में इचलकरंजी चतुर्मास कर गुरुदर्शन करने वाली प्रमिलाकुमारीजी ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त करते हुए अपनी सहवर्ती साध्वियों संग गीत का संगान किया। उत्तर गुजरात तेरापंथी सभा के मंत्री सुनील चोपड़ा ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल व तेरापंथ कन्या मण्डल ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान किया। 

अमीझरा सोसायटी पावन करने को महातपस्वी ने किया सान्ध्यकाली विहार

सायं लगभग साढ़े पांच बजे युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने कोटेश्वर के शाश्वत स्कूल से मंगल प्रस्थान किया। मार्ग में दर्शनार्थियों पर आशीषवृष्टि करते हुए लगभग 4 कि.मी. का विहार कर आचार्यश्री अमीझरा सोसायटी में स्थित पोरवाल परिवार के निवास स्थान में पधारे। परिवार के सदस्यों व क्षेत्रीय लोगों ने आचार्यश्री का भावभीना अभिनंदन किया। आचार्यश्री का रात्रिकालीन प्रवास यहीं हुआ। 

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