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एकत्व की भावना को पुष्ट बनाने का हो प्रयास : परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमण

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कोटेश्वर-मोटेरा को ज्योतिचरण ने किया पावन 

-भव्य स्वागत जुलूस के साथ शाश्वत स्कूल में पधारे युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण  

कोटेश्वर, अहमदाबाद।जन-जन के मानस को पावन बनाने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी गुजरात की राजधानी गांधीनगर-अहमदाबाद में 21 दिवसीय प्रवास कर रहे हैं। इस प्रवास के दौरान तीन दिनों तक कोबा में स्थित प्रेक्षा विश्व भारती में प्रवास सुसम्पन्न कर महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने रविवार को प्रातः अपने चरण युगलों को अगले गंतव्य की ओर गतिमान किया। रविवार के अवकाश का लाभ प्राप्त करने के लिए सैंकड़ों अहमदाबादवासी अपने आराध्य के श्रीचरणों में पहुंच रहे थे। सभी पर आशीषवृष्टि करते हुए आचार्यश्री निरंतर गतिमान थे। लगभग सात किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री जैसे कोटेश्वर-मोटेरा के निकट पधारे, वहां पहले से ही अपने आराध्य की प्रतीक्षा में उपस्थित श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। बुलंद जयघोष और विभिन्न झाकियों से सुसज्जित भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री कोटेश्वर-मोटेरा में स्थित शाश्वत स्कूल में पधारे। 

प्रवास स्थल से कुछ दूर बने जैनम् जयतु शासनम् समवसरण में आचार्यश्री के आगमन से पूर्व ही पूरा प्रवचन पण्डाल जनाकीर्ण हो गया था। आचार्यश्री के मंगल महामंत्रोच्चार से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने समुपंिस्थत जनता को उद्बोधित किया। 

आचार्यश्री ने अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि शास्त्र में एकात्ममुखता की बात बताई गई है। यह संसार में आत्मा और शरीर का योग है। अनेक पुद्गल सजीव भी हैं तो निर्जीव भी हैं। जीव और अजीव दो तत्त्व बताए गए हैं। आत्मा अमूर्त होती है। आचार्यश्री ने दह द्रव्य और नव तत्त्वों का वर्णन करते हुए कहा कि अस्तित्ववाद को जानने के लिए छह द्रव्य की उपयोगिता है और मुक्ति की प्राप्ति के लिए आदमी को नव तत्त्ववाद को जानने का प्रयास करना चाहिए। ज्ञान हो और साधना पर ध्यान दिया जाए तो कल्याण की बात हो सकती है। इसलिए बताया गया कि एकात्ममुखी होकर आदमी यह जाने कि जीव अकेले आता है और एक दिन अकेले ही चला जाता है। अकेले ही कर्म करता है और अकेले ही अपने कर्मों का फल भोगता है। इसलिए उसे संसार में ज्यादा रमने का प्रयास नहीं करना चाहिए और मुक्ति के मार्ग को प्रशस्त बनाने का प्रयास करना चाहिए। 

संतों की संगति से कई बार दुर्जन भी सज्जन बन जाते हैं और कभी साधुपन की भावना भी जागृत हो सकती है। एकत्व की भावना पुष्ट होती है तो पापों से बचने की प्रेरणा भी उजागर हो सकती है और आत्मा का कल्याण संभव हो सकता है। कोटेश्वर-मोटेरावासियों को आचार्यश्री ने पावन आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि आज हमारा इस क्षेत्र में पधारना हुआ है। यहां के लोगों में धर्म की जागरणा बनी रहे। आचार्यश्री ने नवागत साध्वियों को भी मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। 

आचार्यश्री के स्वागत में उत्तर अहमदाबाद तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री गणपत खतंग ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मण्डल व तेरापंथ कन्या मण्डल ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान किया। आचार्यश्री के दर्शनार्थ उपस्थित कर्णावती क्षेत्र से भाजपा की महिला मोर्चा की मंत्री श्रीमती अंजली कौशिक ने भी आचार्यश्री का स्वागत किया और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।

 

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