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महातपस्वी महाश्रमण की मंगल सन्निधि में पहुंचे गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत

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-मेरा परम सौभाग्य कि आचार्यश्री के दर्शन का मिला सुअवसर : गुजरात राज्यपाल 

-ग्लोबल कनेक्ट के प्रतिभागियों को मिला युगप्रधान आचार्यश्री से पावन पाथेय  

-जीवन जीने का लक्ष्य हो सर्व दुःख से मुक्ति : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण  

 कोबा, गांधीनगर।प्रेक्षा विश्व भारती में त्रिदिवसीय प्रवास के अंतिम दिन शनिवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत पधारे। वहीं आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम द्वारा आयोजित ग्लोबल कनेक्ट के प्रतिभागी भी पूज्य सन्निधि में पहुंचे और आचार्यश्री से पावन पाथेय प्रदान करने के लिए उपरान्त अपनी शंकाओं का समाधान भी प्राप्त किया। इसके पूर्व प्रातःकाल की मंगल बेला में अष्ट दिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर के शिविरार्थियों को भी आचार्यश्री से प्रेरणा और प्रेक्षाध्यान के प्रयोग का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस प्रकार यह कहा जाता है कि सौभाग्य से प्राप्त गुरु सन्निधि के क्षण मात्र को भी अहमदाबादवासी गंवाना नहीं चाहते। 

शनिवार को प्रातःकाल के कुछ समय बाद ही आचार्यश्री आचार्य महाश्रमण सभागार में पधारे और वहां उपस्थित प्रेक्षाध्यान शिविरार्थियों को पावन प्रतिबोध के साथ ध्यान के प्रयोग भी कराए। आचार्यश्री से प्रेरणा और ध्यान का प्रयोग कर हर शिविरार्थी से स्वयं के भाग्य की सराहना कर रहा था। 

इस कार्यक्रम के कुछ समय बाद ही महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी जनकल्याण के लिए पुनः प्रवचन पण्डाल में पधारे। आज का मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय ग्लोबल कनेक्ट के प्रतिभागी भी आचार्यश्री से मंगल मार्गदर्शन प्राप्त करने को उपस्थित थे। आचार्यश्री के मंगल महामंत्रोच्चार से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। आचार्यश्री के अहमदाबाद प्रवेश के समय गुरुदर्शन करने वाली चारित्रात्माओं में साध्वी रमावतीजी, साध्वी सोमयशाजी, साध्वी कार्तिकयशाजी व साध्वी चैतन्ययशाजी ने गुरुदर्शन से प्राप्त हर्ष के भावों को अभिव्यक्त किया। शाहीबाग ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने गीत का संगान किया। 

लगभग दस बजे के आसपास गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित हुए। उन्होंने आचार्यश्री को वंदन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। राष्ट्रगान का संगान हुआ। टी.पी.एफ. अहमदाबाद के अध्यक्ष श्री राकेश गुगलिया, अहमदाबाद प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री गौतम बाफणा व टी.पी.एफ. के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पंकज ओस्ताल ने अपनी अभिव्यक्ति दी। 

कार्यक्रम में उपस्थित जनमेदिनी को साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने उद्बोधित किया। तदुपरान्त आचार्यश्री ने समुपस्थित विशाल जनमेदिनी और गुजरात के राज्यपाल आदि को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि शास्त्र में इस जीवन को अधु्रव बनाया गया। यह जीवन शाश्वत नहीं है। आत्मा और शरीर के योग का नाम जीवन है। जहां आत्मा नहीं अथवा जहां शरीर नहीं, वहां जीवन संभव नहीं होता। आत्मा और शरीर का योग जीवन और आत्मा और शरीर का वियोग ही मृत्यु है तथा आत्मा का शरीर से सदा के लिए मुक्त हो जाना मोक्ष होता है। 84 लाख जीव योनियों में मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ प्राणी माना गया है। 

आदमी यह सोचे कि उसके जीवन जीने का क्या लक्ष्य होना चाहिए। जीवन जीने का मूल लक्ष्य सर्व दुःखों से मुक्ति का होना चाहिए। इस दिशा में आदमी को प्रयास भी करना चाहिए। सभी प्राणी अपने जीवन के दुःखों से घबराते हैं। जीवन में चार प्रकार का विकास होते हैं। भौतिक विकास, आर्थिक विकास, नैतिकता का विकास और आध्यात्मिक विकास। आचार्यश्री ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के साथ अणुव्रत आन्दोलन के 75वें वर्ष में अमृत महोत्सव वर्ष अणुव्रत यात्रा का भी वर्णन किया। 

आचार्यश्री ने शुभशीष प्रदान करते हुए कहा कि आज राज्यपाल महोदय का आना हुआ है। गुजरात में सब अच्छा रहे। 

आचार्यश्री के दर्शन और मंगल प्रवचन का श्रवण करने के उपरान्त गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि आज मेरे लिए परम सौभाग्य कि बात है कि मुझे पहली बार आचार्यश्री के महाश्रमणजी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इस सुन्दर सुअवसर को प्राप्त कर मैं स्वयं को धन्य मानता हूं। उन्होंने कहा कि आचार्यश्री स्वयं को तपाकर लोगों को जीवन का सार प्रदान कर रहे हैं, इससे जन-जन का कल्याण हो रहा है। आचार्यश्री के संदेशों को ग्रहण करना और आपश्री द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने पर ही हम सभी का कल्याण हो सकता है। 

कार्यक्रम के अंत में टी.पी.एफ. के महामंत्री श्री विमल शाह ने आभार ज्ञापित किया। राष्ट्रगान का संगान हुआ। इसके उपरान्त आचार्यश्री से मंगलपाठ का श्रवण कर राज्यपाल महोदय रवाना हो गए। ग्लोबल कनेक्ट के संभागियों ने अंत में आचार्यश्री के समक्ष अपनी शंकाओं को अभिव्यक्त किया तो आचार्यश्री ने उन्हें समाधान प्राप्त करने के साथ ही मंगल आशीर्वाद भी प्रदान किया। 

 

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