-लगभग 12 कि.मी. का विहार कर शांतिदूत पहुंचे श्री विश्व मैत्री धाम-बोरिच
-चार अंगों के मेल से बना है मोक्ष का राजमार्ग : महातपस्वी महाश्रमण
बोरिच।गांधीनगर। जन-जन के मानस में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की लौ जगाने, जन-जन को सन्मार्ग दिखाने, अपनी एक वर्षीय अणुव्रत यात्रा के साथ गुजरात की धरा पर गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अणुव्रत अनुशास्ता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना संग बुधवार को गुजरात की राजधानी गांधीनगर की सीमा में प्रवेश किया। वर्षों से प्रतीक्षारत श्रद्धालुओं ने जहां अपने आराध्य का भावभीना अभिनंदन किया तो वहीं मानव मात्र का कल्याण करने वाले आचार्यश्री के स्वागत जुलूस में श्रद्धा और विश्वास के जुटे सैंकड़ों अन्य जैन एवं जैनेतर जनता की उपस्थिति में एकत्व की झलक दिखाई दे रही थी। जन-जन पर आशीषवृष्टि करते हुए आचार्यश्री गांधीनगर के बोरिच में स्थित श्री विश्व मैत्री धाम में पधारे।
बुधवार को प्रातः सूर्योदय के समय शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने वासन से मंगल प्रस्थान किया। गुजरात की राजधानी में आचार्यश्री के मंगल प्रवेश को लेकर जन-जन में उत्साह दिखाई दे रहा था। पूरे विहार में जगह-जगह श्रद्धालु आचार्यश्री के दर्शन और स्वागत हेतु उपस्थित थे। सभी पर आशीषवृष्टि करते हुए आचार्यश्री गंतव्य की ओर गतिमान थे। लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री ने जैसे ही गांधीनगर की सीमा में मंगल प्रेवश किया, श्रद्धालुओं का मन मयूर झूम उठा। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री गांधीनगर के बोरिच में स्थित श्री विश्व मैत्री धाम में पधारे।
समुपस्थित जनता को आचार्यश्री ने पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि मोक्ष मार्ग अध्यात्म जगत का राजमार्ग है, जो मुख्यतया चार अंगों के मेल से निर्मित होता है। सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन, सम्यक् चारित्र और तपस्या रूपी अंगों से निर्मित यह मोक्ष मार्ग जीव को सर्व दुःखों से मुक्त करने वाला होता है।
आचार्यश्री ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के संदर्भ में मंगल संबोध प्रदान करते हुए कहा कि आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। हमारे धर्मसंघ में आंकड़ों पर ध्यान दिया जाए तो तपस्या के क्षेत्र में बाईयों का योगदान संभवतः ज्यादा होता है। चार तीर्थों में साध्वी समुदाय और श्राविका समाज के साथ समणीवृंद भी हैं। साध्वी समुदाय और श्राविका समाज लौकिक और लोकोत्तर शिक्षा में निरंतर विकास करती रहें। साध्वी समाज में बौद्धिकता, लेखन, संपादन का कार्य, समणीवृंद द्वारा विदेशों में भी धर्म का प्रचार-प्रसार कार्य होता है। श्राविका समाज अनेक प्रकार के शैक्षिक प्रकल्पों के द्वारा ज्ञान के क्षेत्र में विकास कर रही हैं। कितनी-कितनी बाईयां ज्ञानशाला प्रशिक्षिका के रूप में अपनी सेवा देकर भावी पीढ़ी को संस्कारित कर रही हैं। माताओं द्वारा बच्चों को अच्छे संस्कार प्राप्त हों, इसका प्रयास होना चाहिए। धर्मसंघ के में महिलाओं के विकास में अपने परम पूज्य पूर्वाचार्यों का भी कितना योगदान रहा है। आचार्यश्री ने आशीष प्रदान करते हुए कहा कि इस स्थान में और गांधीनगर की जनता में खूब धार्मिक-आध्यात्मिक विकास होता रहे।
उपस्थित जनता को साध्वीप्रमुखा साध्वी विश्रुतविभाजी ने भी उत्प्रेरित किया। कार्यक्रम में श्री विश्व मैत्री धाम की ओर से श्री धीरज कोठारी, ट्रस्टी श्री कमलेश भाई, श्रीमती प्रज्ञा जय कोठारी, स्थानकवासी समाज के श्री रमेश भाइ गांधी, मूर्तिपूजक समाज के श्री हेमेन्द्र भाई शाह ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल-अहमदाबाद, वर्धमान महिला मण्डल-बोरिच व गांधी स्थानकवासी महिला मण्डल ने अपने-अपने गीतों के माध्यम से आचार्यश्री की अभिवंदना की। श्रीमती सुनीता बांठिया ने कविता पाठ किया।
*अहमदाबाद में होगा 21 दिनों का प्रवास : आयोजित होंगे विविध कार्यक्रम*
9 मार्च से 29 मार्च तक आचार्यश्री महाश्रमणजी अहमदाबाद के छह क्षेत्रों में प्रवास करेंगे। इस दौरान अनेकानेक महनीय कार्यक्रमों का आयोजन भी आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में आयोजित होंगे। 9 मार्च को आचार्यश्री अहमदाबाद में मंगल प्रवेश करेंगे और कोबा में स्थित प्रेक्षा विश्व भारती में त्रिदिवसीय प्रवास करेंगे। यहां आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में स्वागत समारोह के उपरान्त 10 मार्च को जैन भगवती दीक्षा समारोह, अष्टदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर का शुभारम्भ, 11 मार्च को ग्लोबल कनेक्ट का कार्यक्रम समायोजित होगा। इसके उपरान्त आचार्यश्री 12-13 मार्च को मोटेरा-साबरमती, 14-15 मार्च पश्चिम क्षेत्र, 16-26 मार्च तेरापंथ भवन-शाहीबाग, 27-28 मार्च कांकरिया-मणिनगर और 29 मार्च को अमराईबाड़ी-ओढ़व में प्रवास करने की संभावना है। आचार्यश्री के इस प्रवास को लेकर जन-जन का मन उत्साहित है।