गरबा मनोरंजन की नही बल्कि आध्यात्मिक जागृति तथा भक्ति का प्रतीक : राजीव ओमर
सूरत। शारदीय नवरात्रि के दौरान न सिर्फ गुजरात में बल्कि सम्पूर्ण भारत में रास गरबा का आयोजन होता है, लेकिन परम्परागत गरबा जो वैदिक काल से गुर्जरधरा पर होता था वो धीरे धीरे लुप्त होता जा रहा है। उसके स्थान पर अनेकों प्रकार के नृत्य ने स्थान ले लिया है जो आजकल फिल्मी गानों पर बहुतायत में हो रहे हैं। कई गाने हमारी भारतीय संस्कृति के विपरीत होने के बावजूद भी रिकम्पोज करके आयोजनों में बजाए जा रहे हैं तथा युवावर्ग उस पर नाच भी रहे हैं। भारत के परम्परागत गरबा को जीवित
रखने का महती कार्य उमियाधाम सूरत में किया जा रहा है, जहां हमारे परम्परा अनुसार गरबा सिर पर रख कर महिलाएं माताजी के चारों तरफ रास करती हैं। इस परंपरा को अक्षुण बनाये रखने के लिए शहर की सेवाभावी संस्था सेवा फाउंडेशन द्वारा उमिया परिवार ट्रस्ट का सम्मान किया गया।
स्मृतिचिन्ह प्रदान करते हुए संस्था के अध्यक्ष राजीव ओमर ने बताया कि उमिया परिवार का यह महत्वपूर्ण सामाजिक योगदान है। हमें हमारी प्राचीन संस्कृति का सदैव ध्यान रखना चाहिए। गरबा मनोरंजन की नही बल्कि आध्यात्मिक जागृति तथा भक्ति का प्रतीक है। माताजी को रिझाने के लिए किया जाने वाला कार्य मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि भक्ति के लिए किया जाना चाहिए, जो उमिया परिवार भलीभांति कर रहा है। इस दौरान सेवा फाउंडेशन के संस्थापक अशोक गोयल, टेक्सटाईल युवा ब्रिगेड के अध्यक्ष ललित शर्मा,संस्थापक राजू तातेड़, सूरत ब्राह्मण समाज ट्रस्ट के छोटूभाई पांडे,जयपाल मौजूद रहे। उमिया परिवार की तरफ से अध्यक्ष जशुभाई पटेल, उपाध्यक्ष जसवंतभाई पटेल, सहमंत्री पीयूषभाई पटेल, राजूभाई पटेल आदि ने सम्मान ग्रहण किया।