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समाज और जीवन के लिए आदर्श बनने की दिशा: आचार्य यशोवर्म सूरीजी का मार्गदर्शन

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अहमदाबाद।गिरधर नगर शाहीबाग मे आज के प्रवचन में श्रद्धेय प.पू.आ.भ. श्रीमद विजय यशोवर्म सूरीश्वरजी महाराजा ने कहा कि देव के भव से भी मनुष्य का भव दुर्लभ है। दुर्लभ मनुष्य का भव मिलने के बाद उसे और भी दुर्लभ बनाने जैसा आचरण नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि मानव जीवन की दुर्लभता का एहसास होना चाहिए और हमें इस अवसर का सदुपयोग करना चाहिए। जीवन के हर पल को महत्वपूर्ण बनाते हुए, हमें अपने कर्मों से इसे और भी महान बनाना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि जिनको मनुष्य का भव मिलने के बाद भी जिनवाणी श्रवण का मन न हो, वो बड़ा कमभागी है। सत्य को न मानने वाला कभी धर्म को नहीं पा सकता। धर्म और सत्य की महत्ता को स्पष्ट करते हुए, आचार्य भगवंत ने कहा कि जिनवाणी श्रवण का मन न होने वाला व्यक्ति वास्तव में दुर्भाग्यशाली है। सत्य को न मानने वाला व्यक्ति कभी धर्म को नहीं पा सकता। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सत्य के बिना धर्म का कोई अस्तित्व नहीं है, और सत्य को स्वीकारना ही सच्चा धर्म है।

आचार्य भगवंत ने समझदारी के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि खुद की जवाबदारी का ज्ञान और दूसरों की जवाबदारी का भान होना ही समझदारी है। जहाँ एक-दूसरे का रिश्ता होता है, वहीं आने-जाने का रास्ता होता है। उन्होंने बताया कि हमें खुद की और दूसरों की जिम्मेदारियों का भान होना चाहिए। अच्छे रिश्तों से ही सही मार्ग प्राप्त होता है। उन्होंने समझाया कि समझदारी का अर्थ सिर्फ अपने कार्यों का ज्ञान होना नहीं है, बल्कि यह भी समझना है कि दूसरों के प्रति हमारी क्या जिम्मेदारियाँ हैं।

प्रेम और वहम के बीच अंतर को स्पष्ट करते हुए, आचार्य भगवंत ने कहा कि दूसरों को चिंता कराना वहम है और दूसरों की चिंता करना प्रेम है। हमें अपना व्यक्तित्व ऐसा ऊँचा बनाना चाहिए कि हमारे दर्शन से कोई भावित हो जाए। उन्होंने कहा कि दूसरों को चिंता कराने से वहम होता है जबकि उनकी चिंता करने से प्रेम प्रकट होता है। हमारा व्यक्तित्व इतना ऊँचा होना चाहिए कि हमारे दर्शन से लोग प्रेरित हों। प्रेम के इस गहरे भाव को समझते हुए, हमें अपने जीवन को इस प्रकार जीना चाहिए कि हम दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकें।

संवाददाता दिनेश देवड़ा धोका ने रिपोर्ट मे बताया कि आचार्य भगवंत ने कहा कि "घर में एक अच्छा चित्र चाहिए, जीवन बड़ा पवित्र चाहिए और जीवन में सफलता के लिए एक मित्र चाहिए।" जीवन की गुणवत्ता पर जोर देते हुए, आचार्य भगवंत ने बताया कि हमें घर में अच्छा वातावरण, पवित्र जीवन और सफलता के लिए एक सच्चे मित्र की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि एक अच्छा चित्र हमें मानसिक शांति देता है, एक पवित्र जीवन हमें आध्यात्मिक संतोष देता है, और एक सच्चा मित्र हमें हर कठिनाई में साथ देता है।


संवाददाता दिनेश देवड़ा धोका ने कहा कि
आचार्य भगवंत ने अपने प्रवचन में कहा की मनुष्य जीवन की दुर्लभता, सत्य और धर्म की महत्ता, समझदारी, प्रेम और व्यक्तित्व की ऊँचाई पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने जीवन में अच्छे संबंधों, पवित्रता और सच्ची मित्रता की आवश्यकता पर बल देते हुए अपने प्रवचन को सारगर्भित और प्रेरणादायक बनाया। जीवन की इन महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखते हुए, हमें अपने जीवन को इस प्रकार जीना चाहिए कि हम न केवल अपने लिए बल्कि समाज के लिए भी आदर्श बन सकें।

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