बदलावः भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) एक जुलाई से लागू
15 दिन का रिमांड कभी भी हासिल कर सकेगी पुलिस
अब पुलिस पुलिस बिना गिरफ्तारी अधिकारिक रूप से किसी को भी 24 घंटे हिरासत में रख सकती है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) एक जुलाई से लागू हो गई है। बीएनएसएस ने कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (सीआरपीसी) की जगह ली है। इसके तहत पुलिस की शक्ति काफी बढ़ गई है। बीएनएसएस की धारा 172 के तहत पुलिस किसी भी व्यक्ति को अपने निर्देशों की अवहेलना करने के लिए 24 घंटे तक हिरासत में रख सकती है। इसके बाद पुलिस उस व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने के लिए बाध्य नहीं है। अपने स्तर पर ही उसे रिहा भी कर सकती है। पहले पुलिस अधिकारिक रूप से ऐसा नहीं कर सकती थी। हिरासत में रखे गए व्यक्ति को पुलिस 24 घंटे के अंदर अदालत में पेश करना जरुरी था। बीएनएसएस की इस नई धारा को अधिकारी पुलिस के हक में बता रहे है। अधिकारियों कहना है कि कई बार लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति को देखते हुए लोगों को हिरासत में रखना जरूरी होता है, मगर पहले इसकी अनुमति नहीं थी। उन्हें अदालत में पेश करना जरूरी होता था। लोग पुलिस पर अवैध रूप से हिरासत में रखने का आरोप लगाते थे। अब पुलिस अधिकारिक रूप से ऐसा कर सकेगी। वहीं दूसरी तरफ कुछ कानूनविद् का कहना है कि बीएनएसएस की इस धारा का पुलिस द्वारा दुरुपयोग हो सकता है। पुलिस अब किसी को प्रताड़ित करने के लिए भी इसका प्रयोग कर सकती है।
रिमांड को लेकर भी बदले हैं नियमः
पुलिस रिमांड को लेकर भी बीएनएसएस में नए प्रावधान किए गए हैं। पहले पुलिस किसी अपराधी का अधिक से अधिक 15 दिन रिमांड ले सकती थी। यह रिमांड पुलिस की गिरफ्तारी के तुरंत बाद मिलता था। रिमांड के बाद अपराधी को एक बार न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद दोबारा रिमांड नहीं मिलता था। अब 15 दिन का रिमांड पुलिस न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद भी 60 से 90 दिनों के अंदर टुकड़ों में हासिल कर सकती है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इससे पुलिस को काफी मदद मिलेगी। किसी मामले में कई अपराधी शामिल होते हैं और वे अलग-अलग समय पर पकड़े जाते है। तब पुलिस के सामने सभी अपराधियों को एक साथ बिठाकर पूछताछ करना मुश्किल होता है।