IMG-LOGO
Share:

जहां तेरापंथ का समस्त ज्ञान प्राप्त हो सके, वह तेरापंथ विश्व भारती : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

IMG

सह्याद्रि पर्वत पर तेरापंथ विश्व भारती का उदयोत्सव

-संस्था शिरोमणि महासभा के अंतर्गत तेरापंथ समाज का अतिमहत्त्वपूर्ण प्रकल्प का मंगल शुभारम्भ

-कीर्तिधर आचार्य के शासनकाल में एक और कीर्तिमान का हुआ सृजन  

-17 कि.मी. का अतिरिक्त विहार कर सह्याद्रि पर्वत पर स्थित भूमि को आचार्यश्री ने किया पावन

-आचार्यश्री ने तेरापंथ विश्व भारती की स्थापना के उपरान्त आध्यात्मिक गतिविधियों को किया प्रारम्भ*   

सोमवार,पनवेल,रायगड। सोमवार को मायानगरी मुम्बई के बाहरी भाग में सह्याद्रि पर्वतमाला के पर तेरापंथ समाज की संस्था शिरोमणि जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अंतर्गत तेरापंथ विश्व भारती के महनीय प्रकल्प को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, कीर्तिधर, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने 26 फरवरी 2024 को 2 बजकर 24 मिनट और 26 सेकेण्ड पर आध्यात्मिक रूप से स्थापित कर तेरापंथ धर्मसंघ के इतिहास में एक नवीन इतिहास का सृजन कर दिया। इस अवसर पर उपस्थित महासभा के पदाधिकारी, तेरापंथ विश्व भारती प्रकल्प के ट्रस्टीगण व श्रद्धालु जनता अपने आराध्य की कृपा को प्राप्त कर धन्य-धन्य बन गई। इतना ही नहीं, महातपस्वी महाश्रमण ने तेरापंथ विश्व भारती के लिए लगभग 53 एकड़ निर्धारित भूमि में प्रथम प्रवचन, आध्यात्मिक गतिविधि के रूप में प्रेक्षाध्यान का प्रयोग भी कराया। 

इतना ही नहीं अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने 17 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी भी तय की। पहाड़ी घुमावदार, आरोह-अवरोह से युक्त कच्चे मार्ग पर भी महातपस्वी ने यात्रा करना स्वीकार किया और मुम्बई के इस बाह्य क्षेत्र में तेरापंथ विश्व भारती की स्थापना कर दी। 

पनवेल से रविवार को सायंकाल लगभग चार किलोमीटर के विहार उपरान्त भी सोमवार को तेरापंथ विश्व भारती के लिए निर्धारित की गई भूमि की दूरी लगभग तेरह किलोमीटर थी। सोमवार को प्रातःकाल सूर्योदय के पश्चात तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रस्थान किया। मुम्बई महानगर में लगभग नौ महीने के चतुर्मास, मर्यादा महोत्सव जैसे उपक्रम, उपनगरों को पावन बनाने के उपरान्त अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी अभी तक की परिस्थति के अनुसार दुर्गम पहाड़ी मार्ग पर गतिमान हुए। पहाड़ी घुमावदार रास्ता आरोह-अवरोह से युक्त ही नहीं, कुछ दूरी के उपरान्त कच्चा और मिट्टी से युक्त भी था। फिर भी दृढ़ संकल्प के धनी युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी गतिमान थे। 13 किलोमीटर की कठिन रास्ते को प्राप्त जैसे ही आचार्यश्री ने तेरापंथ विश्व भारती के निर्धारित भूमि की सीमा में पधारे तो यहां महासभा के पदाधिकारी व तेरापंथ विश्व भारती के ट्रस्टीगणों व श्रद्धालुओं ने युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का भावभीना स्वागत किया। इस परिसर में एक ऊंचाई पर बने प्रवास स्थल में आचार्यश्री का मंगल पदार्पण हुआ। चारों ओर पहाड़ों की चोटियां, एक ओर उपस्थित झील इस स्थान को रमणीय बनाए हुए थी। 

प्रवास स्थल से कुछ ही दूरी पर आज का मुख्य प्रवचन कार्यक्रम दोपहर एक बजे से समायोजित हुआ। मुख्य प्रवचन कार्यक्रम का शुभारम्भ युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के मंगल महामंत्रोच्चार के साथ हुआ। तदुपरान्त महासभा के पदाधिकारीगण व तेरापंथ विश्व भारती के ट्रस्टियों ने आचार्यश्री के समक्ष करबद्ध होकर प्रार्थना मंत्र का समुच्चार किया। इसके उपरान्त महासभा के अध्यक्ष श्री मनसुखलाल सेठिया ने अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए ट्रस्टियों से एक संकल्प को दोहराने का आग्रह किया तो उपस्थित समस्त ट्रस्टियों ने उस संकल्प को दोहराया। श्री कन्हैयालाल जैन पटावरी व मुम्बई प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष तथा मुम्बई तेरापंथ विश्व भारती के संयोजक श्री मदनलाल तातेड़ व प्रेक्षा इण्टरनेशनल के अध्यक्ष श्री अरविंद संचेती ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। महासभा के अध्यक्ष ने इस योजना के अंतर्गत जुड़े नए ट्रस्टियों के नामों की घोषणा की। 

तेरापंथ विश्व भारती की भूमि पर प्रथम पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि धर्म को सर्वोत्कृष्ट मंगल कहा गया है। अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म को परम मंगल धर्म कहा गया है। आदमी के जीवन में धर्म का विकास हो, इसका प्रयास करना चाहिए। धर्म की साधना व्यक्ति और संघ के रूप में होती है। संघ में साधना करने में सुविधा होती है। गुरु के संरक्षण मंे होने वाली धर्म की आराधना और अधिक बलवती होती है। भगवान महावीर से जुड़े जैन शासन में हमारे धर्मसंघ के आद्य अनुशास्ता, संस्थापक आचार्यश्री भिक्षु के तेरापंथ धर्मसंघ में साधना कर रहे हैं। 

तेरापंथी महासभा न्यास के अंतर्गत तेरापंथ विश्व भारती की बात सामने आई है। आचार्यश्री ने तेरापंथ विश्व भारती की व्याख्या करते हुए कहा कि एक ऐसा स्थान जहां तेरापंथ का समग्र ज्ञान प्राप्त हो, वह तेरापंथ विश्व भारती है। युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने 2 बजकर 24 मिनट और 26 सेकेण्ड पर तेरापंथ विश्व भारती की स्थापना की घोषणा कर दी। आचार्यश्री की घोषणा के साथ ही पूरा वातावरण जयघोष से गूंज उठा। इस स्थान की मूल आत्मा अध्यात्म है। आचार्यश्री ने तेरापंथ धर्मसंघ के मूल सिद्धांतों की व्याख्या करते हुए प्रेक्षाध्यान का प्रयोग कराया। इस दौरान आचार्यश्री ने प्रेक्षाध्यान गीत का आंशिक संगान भी किया। इस नवीन परिसर के लिए आचार्यश्री ने विशेष मंगलपाठ सुनाते हुए पावन आशीष प्रदान करते हुए कहा कि इस परिसर से धार्मिक-आध्यात्मिक प्रकाश होता रहे। 

आचार्यश्री की अुनज्ञा से इस ऐतिहासिक कार्य के संदर्भ में साध्वीप्रमुखाजी, मुख्यमुनिश्री व साध्वीवर्याजी ने अपनी मंगल शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम का संचालन महासभा के महामंत्री श्री विनोद बैद ने किया। मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने परिसर का अवलोकन भी किया। 

 

*

Leave a Comment

Latest Articles

विद्रोही आवाज़
hello विद्रोही आवाज़

Slot Gacor

Slot Gacor

Situs Slot Gacor

Situs Pulsa

Slot Deposit Pulsa Tanpa Potongan

Slot Gacor

Situs Slot Gacor

Situs Slot Gacor

Login Slot

Situs Slot Gacor