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जिज्ञासा से अध्यात्म का प्रारंभ है:आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी

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सूरत। शहर के पाल में श्री कुशल कांति खरतरगच्छ जैन श्री संघ पाल स्थित श्री कुशल कांति खरतरगच्छ भवन में युग दिवाकर खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म. सा. ने आज  शनिवार 27 जुलाई को प्रवचन में धर्म सभा को संबोंधित करते हुए कहा परमात्मा महावीर ने फवरमाया है कि जिज्ञासा उंचाई की पहली सीढ़ी है। जिज्ञासा के बिना हमारे अंदर धर्म का आविर्भाव नहीं हो सकता। अनेक जीव ऐसे है कि उनमें बोध नहीं है। शरीर का भविष्य तय है, शरीर को तो राख ही होना है। लेकिन हमें अपने शरीर के बारे में सोचना है। जिज्ञासा से अध्यात्म का प्रारंभ है। उन्होंने ने प्रश्न, शंका, जिज्ञासा का भेद के बारे कहा कि कुछ सवाल होते है जो केवल अपने अंहकार का पोषण करने के लिए होते है। शंका में पूर्वाग्रह भी है। शंका जहर है, जिज्ञासा अमृत है। शंका हमारे जीवन को खोखला करती है। जिज्ञासा हमारे जीवन को उंचाई की ओर ले जाती है। जीवन में जिज्ञासा चाहिए, शंका नहीं। जिज्ञासा का अर्थ होता है वह प्रश्न जिस प्रश्न का उत्तर आपके जीवन, आचरण का अंग बन जाता है। संघ के अध्यक्ष ओमप्रकाश मंडोवरा तथा संघ के श्रावक दिलीप भंडारी ने विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि रविवार को पारिवारिक विषय मां के चरणों में ही स्वर्ग है पर प्रवचन होगा। वहीं दोपहर को 2.30 बजे से 4 बजे तक 8 से 15 उम्र तक के बच्चों का शिविर होगा। एक क्लास रात्रि युवाओं की होगी।

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