IMG-LOGO
Share:

आसक्ति बंधन और अनासक्ति है मुक्ति का मार्ग : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण

IMG

-सुबह हल्की बूंदाबांदी तो चढ़ते दिन के साथ चढ़ा सूर्य का पारा

-दस किलोमीटर का विहार कर शांतिदूत पहुंचे गड़ब में केशरियाजी भवन

 गड़ब,रायगड।जीवन में दो तत्त्व चेतन और अचेतन होते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो आत्मा और शरीर अथवा जीव और अजीव। इस संसार में जो कुछ भी दिखाई दे रहा है, अथवा नहीं भी दिखाई दे रहा है, किन्तु पूरी संसार में जो है या तो जीव है अथवा अजीव है। इसमें आत्मा नामक तत्त्व स्थाई है, अविनाशी है। आत्मा का कभी नाश नहीं होता। किसी न किसी रूप में आत्मा विद्यमान रहती है। शरीर अशाश्वत है, अस्थाई और विनाशी भी है। जो शरीर आज है, कल को नहीं रह पाएगा। इस प्रकार आत्मा स्थाई और शरीर अस्थाई तत्त्व होता है। इस कहा जा सकता है कि आत्मा अलग है और शरीर अलग है। 

जिस प्रकार सोना मिट्टी से मिले होने के बाद भी दोनों महत्त्व और अस्तित्व अलग-अलग होता है, उसी प्रकार आत्मा शरीर के साथ मिले-जुले होने पर भी दोनों का अपना-अपना महत्त्व है। आत्मा स्थाई और महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। आदमी आत्मा और शरीर को अलग-अलग मानकर स्वयं को आत्मा जाने। आत्मा जानने के बाद मानव ममत्व और मोह को कम करने अथवा उसे छोड़ने का और आत्मा के कल्याण के लिए धर्माचरण करने का प्रयास करना चाहिए। मेरा-मेरा का चिंतन गृहस्थों के लिए बुरा भी नहीं माना गया है, किन्तु दूसरे के अधिकार को आसक्तिवश हड़प लेना, अथवा चुरा लेना बुरी बात होती है। गृहस्थ जीवन में रहते हुए आदमी को आसक्ति के भाव से बचने का प्रयास करना चाहिए। जिस प्रकार कमल का पत्ता पानी में रहते हुए पानी से सर्वथा उपरत रहता ह, उसी प्रकार आदमी गृहस्थावस्था में रहते हुए भी अधिक आसक्ति और ममत्व के भाव से स्वयं को बचाने का प्रयास करे। 

कहा गया है कि आसक्ति बंधन का और अनासक्ति मुक्ति का मार्ग है। इसलिए आदमी को आदमी को आसक्ति के भावों से बचने और अनासक्ति की चेतना का विकास करने का प्रयास करना चाहिए। उक्त पावन प्रेरणा शुक्रवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने गड़ब गांव में स्थित केशरियाजी नामक भवन में आयोजित अपने मंगल प्रवचन में प्रदान की। 

इसके पूर्व अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी धवल सेना के संग पेण गांव से शुक्रवार को प्रातःकाल की मंगल मंगल बेला में गतिमान हुए। आज सूर्योदय से आसपास में हल्के गहरे रंग के बादल छाए हुए थे जो यदा-कदा मंद तो कभी थोड़े तीव्र रूप में बरस भी रहे थे, इसकारण प्रातःकाल का मौसम काफी सुहावना बना हुआ था, किन्तु कुछ ही समय बाद बादलों को छिन्न-भिन्न कर सूर्य जब आसमान में चढ़ा तो मौसम और वातावरण दोनों को गर्म कर दिया। कुछ ही घंटों में दोनों तरह के प्राकृतिक रूपों से अप्रभावित आचार्यश्री महाश्रमणजी अपने गंतव्य की ओर निर्बाध रूप से गतिमान थे। लगभग दस किलोमीटर का विहार परिसम्पन्न कर आचार्यश्री गड़ब गांव में स्थित केशरियाजी नामक भवन में पधारे। इस भवन के ऑनर डॉ. नरेश पालविया और उनकी धर्मपत्नी ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया। इस भवन में ही वे अपना हॉस्पिटल भी चलाते हैं। 

डॉ. पालविया व उनकी धर्मपत्नी ने आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त अपनी भावाभिव्यक्ति भी दी और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। 

 

Leave a Comment

Latest Articles

विद्रोही आवाज़
hello विद्रोही आवाज़

Slot Gacor

Slot Gacor

Situs Slot Gacor

Situs Pulsa

Slot Deposit Pulsa Tanpa Potongan

Slot Gacor

Situs Slot Gacor

Situs Slot Gacor

Login Slot

Situs Slot Gacor