बोले..शराबबंदी गुजरात में सबसे ज्यादा मामले शराब से जुड़े हैं, FIR की संख्या जानकर आप हैरान हो जाएंगे.
गुजरात में शराबबंदी सिर्फ कागजों पर है, मामले भी लाखों में हैं जब हर साल लाखों में शराब पकड़ी जाती है.
गुजरात में शराबबंदी के बावजूद शराब पीने, शराब साथ रखने और नशे में गाड़ी चलाने पर लाखों एफ FIR दर्ज की गई हैं।
सूरत शहर में लागू 31 पुलिस स्टेशनों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रोहिबिशन अधिनियम के तहत पिछले 10 वर्षों में सूरत शहर में 2,46,131 FIR दर्ज की गई हैं। सूरत शहर में शराब पीने,शराब रखने और शराब पीकर गाड़ी चलाने के अपराध में लगभग 24,613 मामले सालाना दर्ज की जा रही हैं और प्रोहिबिशन अधिनियम के तहत FIR दर्ज करके कानूनी कार्रवाई की गई है। सूरत के आरटीआई कार्यकर्ता संजय इझावा को सूरत पुलिस द्वारा दी गई जानकारी में यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।
निषेध अधिनियम की धारा 64 में दी गई छूट के बिना घरेलू/विदेशी शराब का सेवन करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ 2013 से 2023 की अवधि के दौरान दर्ज की गई एफआईआर की संख्या 1,27,699 है। वहीं, पिछले दस सालों में देशी/विदेशी शराब साथ रखने के आरोप में कुल 1,10,031 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। वहीं देशी/विदेशी शराब पीकर शहर में चार पहिया, दो पहिया एवं भारी वाहन चलाने के अपराध में 8401 वाहन चालकों पर FIR दर्ज की गयी है तो इन तीन अपराधों को मिलाकर पिछले 10 सालों में 2,46,131 एफआईआर दर्ज की गई हैं। यह जानकारी केवल सूरत शहर के लिए है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गुजरात में शराबबंदी कानून के तहत पिछले 10 सालों में बड़ी संख्या में एफआईआर और कार्यवाही दर्ज की गई हैं।
सूरत में सबसे ज्यादा ५ मामले में पांडेसरा पुलिस थाना क्षेत्र में - 19771 मामले और लिंबायत पुलिस थाना क्षेत्र में 18775 मामले, सचिन पुलिस थाना क्षेत्र - 16545 और चौकबाजार पुलिस थाना क्षेत्र - 15996 मामले डिंडोली पुलिस थाना क्षेत्र में - 14631 मामले दर्ज किए गए हैं .
प्रोहिबिशन अधिनियम ने पूरे गुजरात में किसी भी अपराध की सबसे अधिक संख्या दर्ज की है। इसका मतलब है कि गुजरात में शराब व्यापक रूप से उपलब्ध है, और लोग इसे पीते हैं। लाखों की संख्या में होने वाले ऐसे अपराधों में पुलिस पैसे वसूल कर एफआईआर भी दर्ज करने से बचती है. ऐसे में यह कैसे माना जाए कि गुजरात में शराबबंदी है? शराबबंदी केवल कागजों पर है, यह जानकारी साबित करती है कि शराब जनता के लिए स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है। - संजय इजावा (सामाजिक एवं RTI कार्यकर्ता, सूरत)