सुदामा चरित्र के साथ भागवत कथा का समापन
सूरत।सूरत के वेसू स्थित सीबी पटेल हेल्थ क्लब पार्टी प्लॉट में श्री श्याम प्रचार मंडल,महिला इकाई एवं श्री बावलिया बाबा ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन बुधवार को हुआ। कथा के अंतिम दिन ब्यास पीठ से प्रसिद्ध कथाकार चित्रलेखा ने कहा कि रामचरितमानस जीवन जीने की कला सिखाती है और भागवत पुराण मृत्यु को महोत्सव बनाने की।
उन्होंने भागवत को भगवान की शब्दमयी मूर्ति बताते हुए कहा, "भागवत के प्रत्येक शब्द को ब्रह्म की उपाधि दी गई है। हमें प्रार्थना करनी चाहिए कि जब इस दुनिया से विदा लें, तब प्रभु का स्वरूप हमारे सामने हो और अंतिम क्षण तक प्रभु का नाम स्मरण कर सकें।"
चित्रलेखा ने कहा, "भागवत के 12 स्कंध भगवान के 12 अंग समान हैं। कथा केवल भीड़ जुटाने का माध्यम नहीं है। हमें कथा से ऐसा ज्ञान और अनुभव लेकर जाना चाहिए, जो जीवन को सार्थक बनाए। धन का उपयोग केवल भौतिक सुखों के लिए नहीं, बल्कि गौ सेवा, अनाथ आश्रम, वृद्धाश्रम, और भूखों को भोजन कराने जैसे कार्यों में भी करना चाहिए। यही हमारी संपत्ति की सच्ची सार्थकता है।"
कथाकार के भजनों "मीठे रस से भरियोड़ी राधा रानी लागे..." और "कई जन्मों से बुला रहा हूं..." पर श्रोता झूम उठे। उन्होंने कहा, "जीवन अनिश्चित है; अगला सांस हमारा होगा या नहीं, यह हमें पता नहीं। इसलिए प्रभु का नाम स्मरण सतत करते रहना चाहिए। संसार की माया,धन, दौलत और ऐश्वर्य सब यहीं छूट जाते हैं। जो सेवा और परोपकार हम करते हैं, वही हमारे साथ जाता है।"
कथा का समापन भगवान कृष्ण के 16,000 कन्याओं से विवाह और सुदामा चरित्र के मार्मिक प्रसंग से हुआ।संस्थापक अध्यक्ष पूरणमल अग्रवाल ने बताया कि कथा में पूर्व उपमहापौर सुषमा अग्रवाल, किशनलाल गाड़ोदिया और विजय तोदी सहित कई विशिष्ट अतिथियों ने भाग लिया। अध्यक्ष शीव प्रसाद पोद्दार और महिला इकाई अध्यक्ष संतोष गाड़िया ने बताया कि यजमान सुमन अग्रवाल,रेणु नाउका,पूरणमल गुप्ता,संध्या खेमका,शारदा गोयल, अशोक अग्रवाल, प्रेम अग्रवाल,संतोष माखरिया और शुभम सोंथलिया ने विशेष योगदान दिया।कथा में सभी संयोजकों और कार्यकर्ताओं ने आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।