नारायण शर्मा।
सूरत।जीएसटी प्रणाली में बायर और सेलर के बीच की समस्या वास्तव में उन बायर्स के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन जाती है, जो समय पर पेमेंट और प्रोसेस का पालन करते हैं लेकिन सेलर की गलती का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है।
सेलर द्वारा जीएसटी रिटर्न फाइल नहीं किया,तो बायर को ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) नहीं मिलता।जीएसटी कानून के अनुसार, यदि सेलर जीएसटी रिटर्न फाइल नहीं करता, तो बायर से क्रेडिट का पैसा वसूला जाता है, साथ ही ब्याज और पेनल्टी भी लगाई जाती है।
सेलर के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, सरकार सीधे बायर को नोटिस भेजती है।
सरकार को ऐसे सेलर्स पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, जो समय पर रिटर्न फाइल नहीं करते। उनका जीएसटी नंबर ब्लॉक करना, पेनल्टी लगाना या उनके खिलाफ कानूनी कदम उठाना सही होगा। यदि बायर ने जीएसटी सहित पूरा भुगतान कर दिया है और उसके पास उचित इनवॉयस है, तो उसे इस स्थिति से छूट मिलनी चाहिए।
सरकार को एक ट्रैकिंग सिस्टम विकसित करना चाहिए, जो सेलर की गतिविधियों की निगरानी करे और बायर को परेशानी से बचाए।
सरकार को नियमों को सरल और पारदर्शी बनाना चाहिए ताकि दोनों पक्ष अपनी जिम्मेदारी समझें और उसका पालन करें।
इस मुद्दे को जीएसटी काउंसिल की बैठकों में गंभीरता से उठाया जाना चाहिए। बायर पर अतिरिक्त भार डालने की बजाय, उन सेलर्स को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए जो अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर रहे।यदि इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाते हैं, तो यह व्यापारिक माहौल को और अधिक सहज और पारदर्शी बनाएगा।