नई दिल्ली - दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने विधानसभा अध्यक्ष को सदन के कामकाज और प्रक्रिया के नियमों में बदलाव करने को कहा है। एलजी ने कहा कि जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम, 2021 के प्रभाव में आने के चौदह महीनों बाद भी आवश्यक बदलाव नहीं किए गए हैं। इससे सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव का एक और मोर्चा खुलता दिख रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम लाए जाने के समय भी विधानसभा अध्यक्ष और आम आदमी पार्टी ने इसके प्रावधानों को लेकर विरोध जताया था। इस संशोधन के जरिए उपराज्यपाल के अधिकारों की बढ़ोतरी की गई थी। राजनिवास के सूत्रों के मुताबिक इसके लागू होने के चौदह महीनों बाद भी दिल्ली विधानसभा ने अपने प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों में आवश्यक संशोधनों को लंबित रखा है। उपराज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को दिए अपने संदेश में अधिनियम के प्रावधान का हवाला दिया है। जिसके तहत विधानसभा प्रशासनिक निर्णयों के संबंध में राजधानी के दिन-प्रतिदिन के प्रशासन या जांच करने के मामलों पर विचार करने के लिए खुद को या अपनी समितियों को सक्षम करने के लिए कोई नियम नहीं बनाएगी। विधानसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों में आवश्यक संशोधन या इस विषय पर किसी अन्य मौजूदा नियम को संशोदन अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप बनाने की तत्काल आवश्यकता है। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय ने उपराज्यपाल की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। विधानसभा कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक संसद द्वारा किए गए उक्त बदलावों को दिल्ली सरकार ने अदालत में चुनौती दी हुई है। क्योंकि, ये बदलाव आर्टिकल 239एए का उल्लंघन करते हैं। ये बदलाव विधानसभा और उसकी समितियों को प्रशासनिक निर्णयों की छानबीन करने से रोकते हैं। उपराज्यपाल जिन बदलावों को लागू कराना चाहते हैं वे इन समितियों का अंत कर देने वाले हैं।