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अंतिम श्वास तक रहे धार्मिकता - युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

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- अंकलेश्वर में तेरापंथ अधिशास्ता का भव्य स्वागत

अंकलेश्वर भरूच।तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी जनोपकार करते हुए गांव–गांव, नगर–नगर में सदाचार की सौरभ को जनमानस में फैला रहे है। आचार्यश्री का सन्निधि प्राप्त कर हर जाति वर्ग के ग्राम वासी भी अपने आप को धन्य महसूस कर रहे है। गुजरात की धरा को पावन बनाते हुए आचार्य श्री निरंतर गतिमान है। आज गुरुदेव का अंकलेश्वर में पदार्पण हुआ। पूर्व में सन् 2023 में आचार्यश्री यहां पधारे थे। युगप्रधान का द्वितीय बार प्रवास प्राप्त कर अंकलेश्वर के सकल समाज में अनूठा हर्षोल्लास का माहौल छाया हुआ था। प्रवेश से कुछ किलोमीटर पूर्व ही श्रावक समाज जुलूस के रूप में धवल सेना के स्वागत हेतु उपस्थित था। सजोद से लगभग 10 किमी विहार कर आचार्य श्री अंकलेश्वर के ई एन जिनवाला हाइस्कूल में प्रवास हेतु पधारे। मां शारदा टाऊन हॉल ऑडिटोरियम में स्वागत समारोह का आयोजन हुआ। जिसमें नगर की प्रमुख संस्थाओं द्वारा युगप्रधान का नागरिक अभिनंदन किया गया।

मंगल प्रवचन में आचार्य श्री ने कहा – हर व्यक्ति अपने जीवन में मानसिक शांति, मनोबल तथा स्वस्थता ये तीन चीजें चाहता है। पर इनसे भी बड़ी चीज है सन्यास व धर्म साधना। साधु का जीवन तो पूर्ण धर्ममय होता ही है, पर गृहस्थों की भी धर्म साधना पुष्ट होती रहनी चाहिए। सांसारिक दुनिया में विभिन्न प्रकार के पद होते है, किन्तु कोई स्थाई नहीं होता, एक सरकार में कोई मंत्री है व सरकार बदलने पर नहीं भी रह सकता है। राष्टपति का भी कार्यकाल पूरा होने से दूसरा राष्टपति बन जाता है। पर साधुत्व ऐसा तत्व है, श्रावक व धार्मिकता ऐसा तत्व है जो सदा बने रहते है। और कुछ अंतिम श्वास तक रहे न रहे धर्म भावना को अंतिम श्वास तक सुरक्षित रखा जा सकता है। 

गुरुदेव ने आगे फरमाया कि इस साधुता न कोई चोर चुरा सकता है न कोई डाकू लूट सकता है। कर्मों में एक मोह कर्म ही ऐसा है जो हमारी धर्म साधना को कमजोर बना सकता है। धन की सम्पति इस जन्म तक ही रहती है पर धर्म की सम्पति इस जन्म के बाद भी रहती है। एक गृहस्थ को भी अधिकार है धर्म करने का। साधुओं के लिए महाव्रत व श्रावकों के लिए अणुव्रत की साधना का उल्लेख आता है। आदमी ईमानदारी, वाणी संयम, अहिंसा आदि की अनुपालना पर ध्यान दे। झूठ व चोरी से बचना इमानदारी है। सादा जीवन उच्च विचार, मानव जीवन का श्रृंगार। कितना भी धनी क्यों न हो जाए किन्तु भोगोपभोग का परिमाण रहे। जीवन में सादगी और चिंतन में उच्चता रहे तो जीवन बढ़िया बन सकता है। 

इस अवसर पर नागरिक अभिनंदन के क्रम में नगरपालिका अध्यक्षा ललिता बेन राजपुरोहित, तेरापंथ सभा अंकलेश्वर के अध्यक्ष श्री बख्तावरमल सिंघवी, श्री जिनेंद्र कोठारी ने अपने विचार रखे। महिला मंडल की बहनों ने गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने प्रस्तुति दी। नगरपालिका एवं नगर की प्रमुख संस्थाओं द्वारा नगर की प्रतीकात्मक चाबी भेंट कर गुरुदेव का नागरिक अभिनंदन किया गया। 

कार्यक्रम में अणुव्रत विश्व भारती के अध्यक्ष श्री प्रताप दूगड़ ने आगामी कार्यकाल के कार्यकारी सदस्यों की घोषणा की एवं शपथ प्रदान की।

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