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1995 के बाद के रिकॉर्ड को ही माना जाएगा मान्य, मीना समिति की सिफारिश स्वीकृत,एसजीसीसीआई ने किया स्वागत

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गुजरात सरकार ने उद्योगों को दी बड़ी राहत, किसान रिकॉर्ड सत्यापन में बदलाव

सूरत। दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसजीसीसीआई) ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के उस निर्णय का स्वागत किया है जिसमें कृषि भूमि को गैर-कृषि (एनए) करने के लिए आवश्यक किसान रिकॉर्ड सत्यापन की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। अब उद्योगपतियों को 1995 के बाद के रिकॉर्ड ही प्रस्तुत करने होंगे।

एसजीसीसीआई के अध्यक्ष विजय मेवावाला ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि, अब तक राज्य में कृषि भूमि की बिक्री के मामलों में, खरीदार को 1951 से लगातार किसान होने का प्रमाण देना अनिवार्य था। यह प्रावधान उद्योगों के लिए बड़ी बाधा बन गया था, क्योंकि अक्सर इतने पुराने रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होते थे।

मेवावाला ने कहा, मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के समक्ष चेम्बर ऑफ कॉमर्स द्वारा दिनांक  9 अगस्त 2024 को यह प्रस्तुत किया गया कि गैर-खेती अनुमति के दौरान मूल किसान मालिक के सत्यापन के मामलों में रिकॉर्ड की अनुपलब्धता और गैर-खेती अनुमति के मामलों में देरी से उद्योगपतियों को कई समस्याएं पैदा हो रही हैं। 

"मुख्यमंत्री ने इस समस्या को गंभीरता से लिया और मीना समिति का गठन किया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि गैर-कृषि अनुमति के लिए 1995 के बाद के रिकॉर्ड को मान्य किया जाए। चैंबर की प्रस्तुति के बाद मुख्यमंत्री भूपेन्द्रभाई पटेल ने मीना समिति की सिफारिश को स्वीकार कर लिया और राजस्व अधिनियम में बदलाव कर दिया। 6 अप्रैल 1995 के बाद के अभिलेखों पर ही विचार करने का निर्णय लिया गया है।

इस निर्णय से राज्य में उद्योगों को बड़ी राहत मिलेगी और भूमि रूपांतरण की प्रक्रिया तेजी से होगी। इससे निवेश को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

एसजीसीसीआई अध्यक्ष विजय मेवावाला ने मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल का इस निर्णय के लिए धन्यवाद किया है।

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