बिल पोर्टल पर अपलोड होने के बाद पुनः जांच
सूरत। जीएसटी द्वारा बिल भेजो और इनाम पाओ, जैसी योजना शुरू की गई है। जबकि इस योजना को शुरू करने के पीछे जीएसटी चोरी पकड़ने की हकीकत सामने आई है। कारण की विभाग द्वारा जो भी बिल पोर्टल पर अपलोड किया जाता है, वह जीएसटी में दिखाई देता है कि नहीं, उसके आधार पर करदाता को नोटिस दी जाती है।
जीएसटी द्वारा यह योजना इस लिए शुरू की गई है कि व्यापारी द्वारा जो भी बिल ग्राहक को दिया जाता है, उससे तो जीएसटी वसूली तो की जाती है तथा जीएसटी का बिल भी बना कर दिया जाता है। परंतु उसके द्वारा उसे चुकता नहीं किया जाता। जिसके कारण सरकार को हर महीने लाखों करोड़ों रुपए नुकसान हो रहा है। इसी कारण से बिल भेजो इनाम पाओ नामक योजना शुरू की गई है। इस योजना का लाभ लेने के लिए ग्राहक अथवा किसी भी द्वारा जीएसटी का बिल लेने के बाद पोर्टल पर अपलोड किया जाए तो यानी की उसे पर जीएसटी नंबर लिखा होता है। उसे नंबर के आधार पर जीएसटी चुकता की गई है कि नहीं, उसके विवरण लिए जाते हैं। kaaरण कि अक्सर व्यापारी द्वारा इस तरह की जीएसटी चोरी करने के लिए तरकीब आजमाई जाती है। इस तरह की तरकीब को खोजने के लिए जीएसटी विभाग द्वारा यह योजना शुरू की गई है। विभाग डाटा एनालिसिस के आधार पर जीएसटी की भरपाई की गई है कि नहीं, ऐसे मामले में सबसे पहले जीएसटी रिटर्न में दिल दर्शाया गया है कि नहीं, इसके खुलासा के लिए नोटिस दी जाती है। उस नोटिस के आधार पर व्यापारी द्वारा उचित जवाब नहीं दिया जाता है तो जीएसटी वसूली की कार्रवाई शुरू की जाती है।
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