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मर्यादा और अनुशासन विकास के आधारभूत तत्व हैं-मुनि श्री कुलदीप कुमार जी

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अर्जुन मेडतवाल
सचिन में 160 वें तेरापंथ मर्यादा महोत्सव के अवसर पर मुनि श्री मुकुल कुमार जी ने भी दिया महत्वपूर्ण उद्बोधन।
बसंत पंचमी के दिन मुनि श्री ने श्रावकों के घरों एवं दुकानों में पहुंचकर मंगल पाठ सुनाने पर सचिनवासी हुए भाव विभोर

      सूरत।   तेरापंथ धर्म संघ एक विलक्षण धर्म संघ है। यही एकमात्र ऐसा धर्म संघ है जहां मर्यादाओं का महा उत्सव मनाया जाता है। दिनांक 14-15-16 फरवरी के रोज आचार्य श्री महाश्रमण जी के सान्निध्य में वाशी-मुंबई में 160 वें मर्यादा महोत्सव का त्रिदिवसीय  आयोजन हो रहा है। इसी क्रम में दिनांक 15 को सचिन में मुनिश्री कुलदीप कुमार जी एवं मुनि श्री मुकुल कुमार जी के सानिध्य में कम्युनिटी हॉल सचिन में मर्यादा महोत्सव शानदार ढंग से मनाया गया। दिनांक 16 को मुनिश्री उदित कुमार जी,साध्वी श्री चंदन बालाजी, मधुबाला जी,त्रिशला कुमारी जी,हीम श्रीजी एवं साध्वी सम्यक प्रभा जी के सान्निध्य में 160 वें मर्यादा महोत्सव का भव्य आयोजन तेरापंथ भवन सिटीलाइट में होगा।
      सचिन में आयोजित मर्यादा महोत्सव में उपस्थित विशाल जनमेदिनी को संबोधित करते हुए मुनिश्री कुलदीप कुमार जी ने कहा -आचार्य भिक्षु ने अपने समय में साधु संस्था में व्यापित शीथिलाचार के सामने विरोध का बिगुल फूंका एवं संघ से पृथक होने का निर्णय लिया। उन्होंने संघ से अभिनिष्क्रमण कर दिया और अकेले चल पड़े। उनके मार्ग में अनेक संकट आए, विघ्न आए। उनका बहिष्कार किया गया। उन्हें भिक्षा भी नहीं दी जाती थी। पांच वर्ष तक तो पर्याप्त आहार पानी भी नहीं मिला। 15 वर्ष के बाद जब उन्होंने देखा कि उनके सिद्धांत लोगों में स्वीकृत होने लगे हैं लोग उनके मार्ग का अनुसरण करने लगे हैं तब उन्होंने संघ के सुचारू संचालन के लिए मर्यादाओं का निरूपण करना शुरू किया। उन्होंने एक आचार्य की प्रारूपणा की एवं पूरे संघ के लिए एक आचार्य की आज्ञा में चलने का नियम स्थापित किया। आचार्य को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करने का पूर्ण अधिकार दिया। आचार्य जिन्हें उत्तराधिकारी नियुक्त करें संघ के सभी साधु साध्वी चाहे छोटे हो या बड़े उनकी आज्ञा मानने के लिए नियम बनाया। उन्होंने चातुर्मास विहार आचार्य की आज्ञा के अनुसार ही करने की मर्यादा भी प्रस्थापित की। उन्होंने केवल मर्यादाएं ही नहीं बनाई उन मर्यादाओं को पहले अपने ऊपर लागू किया और बाद में सभी साधु साध्वियों की लिखित सहमति ली।उनके हस्ताक्षर करवाए। आचार्य भिक्षु द्वारा प्रस्थापित मर्यादाओं का आज भी तेरापंथ धर्म संघ में अक्षरश: पालन होता है। इन्हीं मर्यादाओं के आधार पर तेरापंथ धर्मसंघ विकास के नए-नए शिखरो पर पहुंच रहा है। वास्तव में परिवार हो या समाज, संघ हो या राष्ट्र मर्यादा और अनुशासन ही उसके विकास के आधारभूत तत्व होते हैं।
          मुनिश्री ने अपने सहवर्ती संत मुनि श्री मुकुल कुमार जी जिनकी जन्म भूमि सचिन ही है उनके अनुशासन, कर्तव्य निष्ठा और सेवा भावना की मुक्त कंठों से प्रशंसा की। उन्होंने कहा - मुनि श्री मुकुल कुमारजी की जन्मस्थली में हम आए हैं। मुनि श्री मुकुल कुमार जी अत्यंत विनम्र और विनीत संत हैं । उन्होंने धर्म ग्रंथो का गहन अध्ययन किया है। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी की भी उन पर विशेष कृपा रही है। ये मेरे परम सहयोगी है मुझे उनके द्वारा पूर्ण समाधि की अनुभूति हो रही है उनके वतन सचिन में मर्यादा महोत्सव करने की मेरी मनोकामना थी। आज वह मनोकामना पूर्ण हो रही है उनके संसार पक्षीय पिताजी  राजमल कालिया धर्मसंघ के प्रति पूर्ण समर्पित श्रावक हैं।उनकी इस क्षेत्र में अच्छी प्रतिष्ठा है।मैं उनके आध्यात्मिक विकास के लिए मंगल भावनाएं प्रेषित करता हूं। यहां का जैन समाज भी जैनत्व के प्रति निष्ठावान समाज है। यहां के जैन समाज ने जैन एकता का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया है। सकल जैन समाज द्वारा मर्यादा महोत्सव का आज का आयोजन हुआ है वह अपने आप में विशेष महत्वपूर्ण है।
           मुनि श्री मुकुल कुमार जी ने कहा - इतिहास इस बात का साक्षी है कि मर्यादाएं हमेशा व्यक्ति की सुरक्षा करती है। जब तक सीता माता लक्ष्मण रेखा के अंदर रहे तब तक रावण जैसा महाबली भी उनका अपहरण नहीं कर सका। जब- जब मर्यादाओं की लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन हुआ है, सुरक्षा भी समाप्त हुई है। मर्यादाओं का पालन उन्नति और विकास का राजपथ है। उन्होंने कहा - मुनि श्री कुलदीप कुमार जी की निश्रा में रहकर मैंने बहुत कुछ सीखा है। उनका मुझ पर अप्रतिम वात्सल्य रहा है। उन्होंने मेरे संदर्भ में अनेक बातें बताई है, यह मुनि श्री की विशेष कृपा और प्रमोद भावना का ही द्योतक है। उनके प्रति में कृतज्ञता व्यक्त करता हूं, लेकिन वास्तव में उनके लिए कृतज्ञता शब्द भी बहुत छोटा पड़ जाता है।
         अणुव्रत विश्व भारती के गुजरात प्रभारी श्री अर्जुन मेडतवाल,तेरापंथी सभा उधना के अध्यक्ष बसंती लाल नाहर, तेरापंथी सभा सचिन के अध्यक्ष सुखलालजी खमेसरा,स्थानकवासी समाज के अध्यक्ष सागरमल बरलोटा,पीयूष ओस्तवाल,जीनल ओस्तवाल,तेरापंथी सभा सचिन के पूर्व अध्यक्ष  राजमल काल्या आदि ने अपने भावों की प्रस्तुति दी।  तेरापंथ महिला मंडल, युवक परिषद, कन्या मंडल,ज्ञानशाला, चंदनबाला महिला मंडल आदि ने भी गीत,वक्तव्य तथा परिसंवाद द्वारा रोचक प्रस्तुति दी।मंगलाचरण तेरापंथ महिला मंडल सचिन ने एवं आभार ज्ञापन पिंटू मुणोत ने किया।कार्यक्रम का कुशल संचालन तेरापंथी सभा उधना के उपाध्यक्ष मुकेश बाबेल ने किया। अंत में  संघ-गान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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