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धर्म की राह पर चलें, मानवतावादी दृष्टिकोण अपनाएं - राज्यपाल गेहलोत

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अहिंसा और अपरिग्रह समाज और राष्ट्र में शान्ति, समृद्धि और खुशाली के लिए जरूरी - आचार्य लोकेश

भगवान् महावीर शान्ति और अहिंसा के अग्रदूत - बालाचार्य सिद्धसेन

राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने मंगलवार को बेलगावी में अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक आचार्य लोकेश जी के सानिध्य में श्री सिद्धसेन रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित भगवान महावीर के 2,550वें निर्वाण महोत्सव, आचार्य बाहुबली मुनि महाराज की 92वीं जयंती और बालाचार्य सिद्धसेन मुनि महाराज के 25वें दीक्षा महोत्सव में भाग लिया। 

उन्होंने 24वें जैन तीर्थंकर भगवान् महावीर को अहिंसा, त्याग और तपस्या का प्रतीक बताते हुए भगवान् महावीर के अमर संदेश जियो और जीने दो की सराहना की।

उन्होंने मानवीय सेवा पर ध्यान देने के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, नैतिक और धर्मार्थ प्रयासों के प्रति जैन समुदाय की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बालाचार्य सिद्धसेन जी की उपलब्धियों की सराहना की। श्री गहलोत ने तीर्थ स्थलों के जीर्णोद्धार और मंदिरों के निर्माण सहित सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, शैक्षिक और चिकित्सा क्षेत्रों में उनके योगदान को स्वीकार किया।

जैन आचार्य लोकेश जी ने इस अवसर पर कहा कि भगवान महावीर का सन्देश जितना तत्त्कालिक समय में उपयोगी था उससे अधिक मौजूदा समय में प्रासंगिक है।  उनके द्वारा प्रदत्त अहिंसा व अपरिग्रह दर्शनों में अनेक वैश्विक समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है। 

बालाचार्य सिद्धसेन जी ने कहा कि भगवान् महावीर अहिंसा और शान्ति के अग्रदूत थे और अहिंसा धर्म को अपनाने से ही राष्ट्र और समाज में समृद्धि हो सकती है, समाज में खुशाली हो सकती है। 

इस अवसर पर दिगम्बर परंपरा के वरिष्ठ आचार्य मुनि महाराज, ब्रह्मचारिणी मुमुक्षु दीदी, कर्नाटक सरकार के मंत्री, विधायक के साथ समाज सेवी श्री अतुल जैन -दिल्ली ,श्री राजेश मुहणोत -बैंगलोर,श्री सुरेश टेंगा-गदग आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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