सरकारी एजेंसी व मुकदमों से परेशान
अरबों रुपए की देनदारी के मुकदमे झेल रहे शैलर मालिक, रोटी के पड़े लाले
जालंधर । सरकारी नीतियों की वजह से पंजाब के सैकड़ों राइस शैलर बंद हो चुके हैं और जो बचे हैं उनके मालिक अदालतों के केसों में उलझे हुए हैं। हालत यह है कि बहुत सारे राइस शैलर मालिक या तो अपने घर-बार छोड़कर दूसरे प्रदेश में जा चुके हैं या अदालती मुकदमों में उलझकर रोटी को मोहताज हो गए हैं। वकीलों की भारी-भरकम फीस दे पाने में असमर्थ शैलर मालिकों ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से अपील की कि उन्हें बचाया जाए। यदि सरकार ने उनकी सुध नहीं ली तो वे खुदकुशी करने को मजबूर होंगे।
शैलर मालिकों ने कहा कि अरबों रुपए की देनदारी के मुकदमे झेल रहे शैलर मालिकों को रोटी के लाले पड़े हुए हैं। ऐसी स्थिति में वे वकीलों की फीसें कहां से भरें। इस कारण बहुत सारे शैलर मालिक या तो दिल्ली का रुख कर गए हैं या फिर कई कर्नाटक, महाराष्ट्र की तरफ चले गए हैं। शैलर मालिक कपिल तकियार ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से अपील की कि शैलर मालिकों को सरकारी दमन से बचाया जाए तथा इसके साथ ही इस सारे घालमेल की सीबीआई जांच करवाई जाए।
शैलर मालिकों ने बताया कि 2008-09 के पैडी सीजन के दौरान एफसीआई द्वारा धान नहीं उठाया गया था और सरकारी खरीद एजेंसियों स्टेट वेयर हाउस, पंजाब एग्रो, पनसप और पनग्रेन द्वारा दबाव डालकर 201 किस्म के धान की फसल शैलरों में रखवा दी गई। एजेसियों द्वारा लंबे समय तक धान नहीं उठाया गया, जिस कारण धान पड़ा-पड़ा गलने सड़ने लगा। जब धान में से चावल निकाला गया तो चावल काले रंग का था, जिसे एजेंसियों ने उठाने से मना कर दिया।
शैलर मालिकों ने बताया कि जिस चावल की कीमत 2400 रुपए थी, उसे 1600-1700 रुपए में व्यापारियों को उठवा दिया गया और खराब धान का पैसा शैलर मालिकों की तरफ निकालना शुरू कर दिया। यही नहीं, सरकारी एजेंसियों ने अपने पैसे का भुगतान लेने के लिए शैलर मालिकों पर केस दर्ज करवाने शुरू कर दिए। उन्होंने कहा कि शैलर में लगे धान को संभालते-संभालते राज्य के राइस मिलर सरकार के अरबों रुपए के देनदार हो गए हैं। उन्होंने बताया कि कोई शैलर मालिक ऐसा नहीं बचा होगा, जिसके सिर पर 20-20, 30-30 करोड़ रुपए की देनदारी खड़ी न हो।