सूरत शहर की नई सिविल अस्पताल के इमरजेंसी विभाग ट्रॉमा सेंटर में सोमवार को पांच वर्षीय गंभीर बालक, जिसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, उसका डॉक्टर ने एक्स-रे करने से इनकार कर दिया। इस दौरान बच्चे की हालत गंभीर हो गई। परिजनों की शिकायत पर मेडिकल ऑफिसर एक्स-रे विभाग में गए, लेकिन तब भी डॉक्टर अपनी बात पर अड़े रहे। बाद में आरएमओ के कहने पर बच्चे का एक्स-रे और सोनोग्राफी पूरा हुआ। जानकारी के अनुसार गोडादरा डी. के. नगर के 5 वर्षीय शिव नंदलाल कापडिय़ा को दो-तीन दिन से पेटदर्द की तकलीफ थी। परिजन उसको प्राइवेट अस्पताल लेकर गए। वहां डॉक्टर ने उसे दवाई देकर घर भेज दिया, लेकिन रविवार रात को शिव की तबीयत ज्यादा खराब हो गई।
इससे परिजन घबरा गए और सोमवार सुबह नई सिविल अस्पताल आ गए। पिड्याट्रिक विभाग की ओपीडी 23 में शिव को डॉक्टरों ने देखा। उसे सांस लेने में तकलीफ के कारण उसे इमरजेंसी विभाग में भेज दिया गया। इमरजेंसी के ट्रॉमा सेंटर में चिकित्सकों ने तुरंत शिव के परिजनों को एक्स-रे व सोनोग्राफी करवा कर आने के लिए कहा। परिजन एक्स-रे करवाने पहुंचे तो ड्यूटी डॉक्टर ने एक्स-रे से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि मरीज का केस पेपर ओपीडी में दिखाने के लिए निकाला गया है। इसलिए मरीज को एक्स-रे और सोनोग्राफी के लिए रेडियोलॉजी विभाग के ओपीडी 9 में जाना होगा। इस दौरान बच्चे की हालत गंभीर होती जा रही थी। परिजन उसे फिर इमरजेंसी विभाग लाए। इस पर मेडिकल ऑफिसर शिव को लेकर फिर एक्स-रे विभाग गए, लेकिन यहां वह डॉक्टर उनसे भी बहस करने लगा। मामला आरएमओ डॉ. केतन नायक तक पहुंचा, तब उन्होंने एक्स-रे करने के निर्देश दिए। हाल में शिव को पिड्याट्रिक आइसीयू वार्ड में भर्ती किया गया है।