सूरत।शहर के वराछा क्षेत्र में एक साडी व्यापारी को डरा-धमकाकर रु. 12 लाख ऐंठने के आरोप में वराछा पुलिस ने जीएसटी अधिकारी समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।आरोपियों ने व्यापारी को बिल में गड़बड़ी का हवाला देते हुए 10 साल की जेल और 80 लाख जुर्माना के नाम पर डराया था।साड़ी व्यापारी ने डरकर 12 लाख रुपए आरोपियों को दिए थे।
जानकारी के मुताबिक राजस्थान के जोधपुर के मूल निवासी धीरेन्द्रसिंह उर्फ धीरज मंगलसिंह राजपुरोहित पिछले 10 साल ले सूरत के वराछा स्थित पुरानी बोम्बे मार्केट में साड़ी, चणिया-चोली की धीरज फैशन नामक दुकान चलाते हैं।गत 30 मार्च को धीरेन्द्रसिंह अपनी दुकान पर बैठे थे, उस वक्त तीन अज्ञात शख्स उनकी दुकान में घुस आए।जिसमें से एक के हाथ में मौजूद फाइल पर भारत सरकार की लोगो वाली फाइल थी।वह व्यक्ति जीएसटी का अधिकारी था।दुकान में घुसते ही जीएसटी अधिकारी समेत तीनों शख्सों ने बिलों में गड़बड़ी का हवाला देते हुए धीरेन्द्रसिंह को बताया कि आप को रु. 80 लाख जुर्माना भरना होगा ।साथ ही 10 वर्ष की सजा भी हो सकती है। जीएसटी अधिकारी की बात सुनकर धीरेन्द्रसिंह डर गए और उन्होंने मेरे पास रु. 80 लाख नहीं हैं।इस जीएसटी अधिकारी ने सेटलमेंट के नाम पर रु. 45 लाख मांगे।बातचीत के बाद धीरेन्द्रसिंह ने दुकान में रखे 7 लाख रुपए और घर से .5 लाख रुपए समेत कुल 12 लाख रुपए तीन शख्सों को दे दिए।रुपए लेने के बाद जीएसटी अधिकारी समेत तीनों लोगों के जाने के बाद धीरेन्द्रसिंह ने अपने एकाउन्टन्ट से बात की और पूरी घटना की जानकारी दी।एकाउन्टन्ट ने बताया कि इस प्रकार कोई भी जीएसटी अधिकारी जुर्माना नहीं ले सकता और ना ही सीसीटीवी बंद करवाकर कोई कार्यवाही करता है।एकाउन्टन्ट से बातचीत के बाद धीरेन्द्रसिंह को अहसास हुआ कि कोई जीएसटी के नाम पर उनसे 12 लाख रुपए ले गया। जिसके बाद धीरेन्द्रसिंह ने वराछा पुलिस थाने में तीन अज्ञात शख्सों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवा दी। पुलिस की जांच में पता चला कि धीरेन्द्रसिंह की दुकान में रेड करने पहुंचे तीन शख्सों में से एक जीएसटी अधिकारी राकेश शर्मा है जो सेन्ट्रल जीएसटी में सेवारत है। जबकि उसके साथ आए अन्य दो शख्सों को जीएसटी विभाग से कोई लेना-देना नहीं है।राकेश शर्मा ने अपने मुखबिरों से जानकारी जुटाकर धीरेन्द्रसिंह की दुकान पर रेड की योजना बनाई थी और इसके अंतर्गत वह अपने तीन साथियों के साथ उसकी दुकान पहुंच गया।पहले दुकान का दरवाजा और बाद में सीसीटीवी भी बंद कर दिया।बाद में बिल में गड़बड़ी का हवाला देते हुए धीरेन्द्रसिंह को 10 साल की जेल और र80 लाख रुपए जुर्माना होने का डर दिखाया। जिससे भयभीत होकर धीरेन्द्रसिंह ने र 12 लाख रुपए उसे दे दिए।