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फ्रांस के मर्सेल बंदरगाह के पास 70 दिन से जहाज पर दिन-रात बिताने को मजबूर

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यूक्रेन पर रूसी हमलों के 94 दिन बीत चुके हैं। हमलों के चलते 67 लाख से अधिक यूक्रेनी नागरिक पोलैंड समेत दूसरे देशों में पलायन कर गए। पलायन करने वालों में से बहुत सारे लोग अब तक दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। ऐसे ही 800 लोगों का पनाहगार बना फ्रांस के मर्सेल बंदरगाह के आसपास तैर रहा 12 डेक का जहाज मेडिटेररेनी।

यह जहाज यूक्रेन के नागरिकों को मारियुपोल से 2400 किलोमीटर दूर फ्रांस लेकर आ तो गया, लेकिन इसमें दिन-रात गुजार रहे शरणार्थियों को यहां उतरने की छूट नहीं मिल रही है। नतीजा, यह 800 यूक्रेनी नागरिक समुद्र के शरणार्थी बने हुए हैं। यही इनका घर भी बना हुआ है और लॉन भी, मैदान भी और मनोरंजन का पार्क भी।

मर्सेल शहर पहले में आवासीय संकट
कोरोना की वजह से मेडिटेररेनी जहाज कुछ समय से सेवा में नहीं था, इसी कारण जहाज के मालिक ने इसे यूक्रेन से शरणार्थियों को लाने में इस्तेमाल किया। जर्मनी में यूक्रेन से आए शरणार्थियों को कंटेनर जहाज में रखा गया था, जिस पर सरकार को मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की आलोचना का सामना करना पड़ा। लेकिन, फ्रांस के पास मेडिटेररेनी में समय काट रहे शरणार्थियों को लेकर अब तक कहीं आवाज नहीं उठी है।

इन शरणार्थियों के लिए आवाज न उठने की एक वजह यह भी है कि मर्सेल शहर पहले से ही आवासीय संकट से जूझ रहा है। फ्रांसीसी अधिकारियों ने शरणार्थियों को जहाज में शरण देने में कोई परेशानी नहीं, लेकिन वह यूक्रेन के नागरिकों को जमीन पर उतरने की छूट नहीं दे रहे हैं। उलटा, फ्रांस की सरकार इस तरह से शरण देने के प्रयासों की सराहना भी कर रही है।

एक ही जगह रहने से बच्चों के तन-मन पर असर
जहाज में रह रहे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर जंग का बुरा असर चिंता का विषय है। खैरियत यही है कि जहाज में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी मौजूद हैं, जो बच्चों और आम नागरिकों में तनाव और सदमे के लक्षण पर नजर रखे हुए हैं।

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