सूरत।ईको सेल द्वारा तेज किए गए 1200 करोड़ रुपये के फर्जी बिलिंग घोटाले में रिमांड पूरा होने के बाद दोनों आरोपियों को आज अदालत में पेश किया गया, जहां आरोपियों को जेल भेज दिया गया, क्योंकि कोई अतिरिक्त रिमांड नहीं मांगा गया था। इस बीच, जिन फर्मों के माध्यम से घोटाला किया गया है, उनमें निवारक और रेंज अधिकारी तनाव में आ गए हैं क्योंकि पंजीकरण से लेकर रिटर्न की जाँच तक सीजीएसटी अधिकारियों की सभी जिम्मेदारी होने से प्रिवेंटीव और रेंज अधिकारी टेंशन मे आ गये है।
बिलिंग कांड में पुलिस ने कुल 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया और सूरत के दो आरोपियों समेत कुल चार को मुख्य दोषी करार दिया। जिसमें दो आरोपी सलीम रवानी और आनंद परमार जिनकी चार दिन की रिमांड गुरुवार को खत्म हो रही है, दोनों को कोर्ट में पेश किया गया।जिसमें दोनों को जेल भेजने का आदेश दिया गया है।
सीजीएसटी अधिकारी को हिरासत मे लेने की चर्चा
जिन सात से आठ फर्मों के बारे में कहा जाता है कि वे फर्जी बिलिंग में लिप्त हैं और जिनमें पुलिस ने खुद को अभियोजक बना लिया है, उनमें से केवल एक फर्म एसजीएसटी के तहत पंजीकृत है जबकि शेष सात फर्म सीजीएसटी के तहत पंजीकृत हैं। इसलिए आज सीजीएसटी में भारी चहल-पहल रही। मामला इतना आगे बढ़ गया कि एक अफसर को भी उठा लिया गया।
अब जमानत अर्जी की तैयारी
14 आरोपी जेल से बाहर आने के लिए जमानत अर्जी दाखिल करेंगे, जिसकी शुरुआत अगले सप्ताह से हो सकती है। इससे पहले कई मामलों में आरोपियों को डिफॉल्ट जमानत का लाभ भी मिल चुका है क्योंकि जीएसटी विभाग ने समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं की थी।