जोधपुर। पूज्य संतों के सानिध्य व बच्चों एवं हजारों सत्संगी भाई बहनों द्वारा श्रीमद् भागवत गीता का सामूहिक पाठ राधा बाग रातानाडा में संपन्न हुआ।
गीता बाल संस्कार का मूल उद्देश्य बच्चों को सनातन संस्कृति को समझाना और उसके मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना है। आधुनिक युग में कैसे जिया जाए यह हमें गीता जी सिखाती है। किसी भी समस्या का समाधान गीता जी के पास है बच्चों को गीता कंठस्थ करवाना और जीवन में उतारना ही मूल उद्देश्य है।
आधुनिक युग में जिस तरह से लोगों का रहन-सहन आहार बदल रहा है इस कारण कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।वही आजकल बच्चे जल्दी ही डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।क्योंकि वह आध्यात्मिकता से जुड़ नहीं पा रहे हैं। गीता बाल संस्कार ऐसे बच्चों का मनोबल बढ़ाता है। भ्रूण हत्या जिसे धर्म में ब्रह्म हत्या का पाप बताया गया है और सरकार भी भ्रुण हत्या रोकने के लिए कई कड़े कदम उठा रही है। मंच के माध्यम से बच्चों द्वारा भूर्ण हत्या पर विशेष नाट्य प्रस्तुति की गई और समझाया गया कि लड़के लड़की में भेदभाव न समझे।उपस्थित जनमानस को पूज्य स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज द्वारा रचित साधक संजीवनी पर भी प्रस्तुति दी गई।इस अवसर पर पुरुषोत्तम महाराज खेड़ापा श्री 108 श्री शांतेश्वर महाराज,गादीपति अजनेश्वर आश्रम, वैध श्री राम रतन महाराज मोती चौक रामद्वारा,हनुमान दास महाराज राम मोहल्ला,संत श्री राम प्रसाद बड़ा रामद्वारा सूरसागर,श्री नवल राम जी महाराज वृंदावन,श्री नारायण दास महाराज नेरवा हनुमान मंदिर द्वारा बच्चों से गीता प्रश्नोत्तरी की गई बच्चों ने सभी के सटीक जवाब दिए।18 अध्याय याद करने वाले बच्चों को पुरस्कार में लैपटॉप और बाकी जिन बच्चों को जितने अध्याय याद थे उस वर्ग के हिसाब से उन्हें पुरस्कृत किया गया। लगभग 4000 सत्संग प्रेमियों ने गंगाजल द्वारा निर्मित भोजन के रूप में प्रसादी भोजन पांडाल में ग्रहण की।
गीता बाल संस्कार द्वारा 19 शाखाओ और 17 स्कूलों में गीता जी अनिवार्य रूप से सिखाई जाती है अभी तक 10000 से ज्यादा बच्चों को गीता जी सिखाई गई।