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बालि वध और लंका दहन देख गूंजे जय श्रीराम के जयकारे

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श्रीराम-सुग्रीव मित्रता व बाली वध की लीला का मंचन
 सूरत। वेसु के रामलीला मैदान में श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट सूरत आयोजित रामलीला में बुधवार 9 अक्टूबर को सुग्रीव मित्रता बाली वध लंका दहन का मंचन हुआ। ट्रस्ट के अध्यक्ष रतन गोयल, महामंत्री अनिल अग्रवाल रामलीला के प्रसंग की जानकारी देते हुए बताया कि माता सीता की खोज में निकले श्रीराम व लक्ष्मण माता शबरी की कुटिया पर पहुंच जाते हैं। जहां माता शबरी ने श्रीराम का मीठे-मीठे बेर खिलाकर स्वागत किया। माता शबरी श्रीराम को बताती है कि कुछ दूर ऋषिमूक नामक पर्वत है, जहां पर महाराज सुग्रीव और उनकी सेना रहती है, जो सीता का पता लगाने के लिए अवश्य ही मदद करेंगे। भगवान राम और लक्ष्मण पर्वत पर पहुंचते हैं। वहां महावीर हनुमान उनको अपने कंधे पर बैठाकर महाराजा सुग्रीव के पास ले जाते हैं। भगवान राम और सुग्रीव की मित्रता होती हैं। प्रभु श्रीराम बालि का वध कर सुग्रीव को उनका खोया राजपाट लौटाते हैं। सुग्रीव को राज्य मिलने के बाद हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका पहुंचते हैं। अशोक वाटिका में उनकी माता सीता से मुलाकात होती है।  क्रोध वश रावण हनुमानजी की पूंछ में आग लगवाते हे श्री हनुमान जी पूरी लंका जला देते हैं।
आए हुए अतिथियों का स्वागत ट्रस्ट के मंत्री गिरधारी अग्रवाल के साथ संजय जोशी,नारायण रावलवासिया, रवि गर्ग,प्रमोद बंसल एवम विनोद डोहकावाला ने किया 
 
आज की लीला
रामलीला में 10 अक्टूबर को विभीषण शरणागति, रामेश्वरम स्थापना, अंगद रावण संवाद का मंचन होगा।

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