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एसटीएम के संचालकों द्वारा सभासदों की मंजूरी बगैर संपत्ति बेच देने का आरोप

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सूरत। द सूरत टेक्सटाइल मार्केट को.ऑपरेटिव शॉप्स एंड वेयरहाउस सोसाइटी की संपत्ति बेचने और भाड़ा के बारे में हुई अनियमितता तथा गलत तरीके से हुई सभा के बारे में जांच आयोजित करने की मांग की गई है। सूरत टेक्सटाइल मार्केट के संचालकों ने सभासदों की मंजूरी के बगैर संपत्तियों को बेच देने के आरोप के साथ सभासद मनोज खत्री और राजकुमार गुप्ता ने सूरत जिला रजिस्ट्रार सहकारी मंडली को डॉक्यूमेंट के साथ शिकायत करके अनियमितता की जांच करने की मांग की हैं।
शिकायत में बताया गया है की सूरत टेक्सटाइल मार्केट में सभासद की जानकारी के बगैर पहले मंजिल की दुकान नंबर पी 2099 तथा बैंक ब्लॉक में आने वाली ग्राउंड फ्लोर की यूनियन बैंक वाली जगह मंडली के पदाधिकारी को अवैध तरीके से बेंच दिया है। एजीएम या अन्य साधारण सभा बुलाई बगैर या सभासदों की मंजूरी के बगैर अपने ही बोर्ड के मेंबर विमला देवी आर साबू के परिवार के चार सदस्यों को मनमानी तौर पर बेंच दिया है। जबकि यूनियन बैंक की जगह से सोसाइटी को वार्षिक 36,00, 000 और दुकान नंबर पी 2099 से वार्षिक 6,60, 000 रुपए की आवक भाड़ा से होती है। इसके बावजूद बैंक की और दुकान नंबर पी 2099 को केवल 1,21,00,000 रुपए और 12,15,000 रुपए में बेच दिया गया। जिस समिति को भारी नुकसान हुआ है। हाल में मंडली में एसएमसी का प्रीमियम चुकता करने का कर्ज है, इसके बावजूद मंडली के पदाधिकारियों ने 50 लाख का डोनेशन अग्रवाल समाज विद्या विहार को 15 जुलाई 2022 को अवैध तरीके से प्रस्ताव पास करके दिए हैं। मंडली में आने वाली अधिकांश संपत्ति भाड़े पर दिया है। जिसका मार्केट के सदस्य की ओर से बारंबार विवरण मांगने पर भी नहीं दिया गया। मार्केट के कुछ सदस्यों ने मार्केट के ऑडिटोरियम 28 अप्रैल 2023 को भाड़े पर लेने के लिए मांग की थी। परंतु आज दिन तक मंडली के तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। हाल में मंडली के तीन पदाधिकारी की सीट खाली थी, इन सीटों पर मंडली बगैर कोई सभा बुलाए या सामान्य चुनाव कराए बगैर जसराज भोगर, गणेश जैन और ख्यालीलाल भोगर को सोसाइटी कमेटी का मेंबर बना दिया है और इन तीनों पदाधिकारियों की नियुक्ति भी अवैध तरीके से की गई है। जो की मंडली के उप नियम के विरुद्ध है तथा जांच का विषय है। पिछले कई वर्षों से मंडली की सिक्योरिटी एजेंसी के रूप में एक ही एजेंसी काम करती है और पिछले वर्ष इसके वर्ष दौरान का टेंडर निकाले बगैर 50 लाख रुपए बढ़ा कर दे दिया है। सूरत टेक्सटाइल मार्केट की इमारत में जो भी विज्ञापन के बोर्ड लगे हैं, उसका भाड़ा भी ऑडिट रिपोर्ट में कम बताया गया है। मार्केट में आने वाला ऑडिटोरियम भाड़े पर दिया है और विज्ञापन के लिए बोर्ड फ्री में दिया है, इसकी भी जांच होनी चाहिए।
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