राजलदेसर। स्थानीय तेरापंथ भवन में युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की आज्ञानुवर्ती विदुषी सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री मानकुमारी जी के पावन सान्निध्य में पर्यूषण महापर्व के दौरान आज द्वितीय दिवस स्वाध्याय दिवस के रूप में कार्यक्रम का समायोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी कमलयशा जी व चैत्यप्रभा जी के मंगलाचरण से हुआ।
शासन श्री साध्वी मानकुमारी जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा निर्जरा के बारह भेदों में एक भेद स्वाध्याय है।स्वाध्याय को सभी धर्मों में महत्व दिया है जैसे शरीर के लिए भोजन आवश्यक है वैसे ही आत्मा के लिए स्वाध्याय आवश्यक है स्वाध्याय करते-करते व्यक्ति अपनी आत्मा को उज्ज्वल बना लेता है कर्म निर्जरा के साथ साथ स्वाध्याय हर समस्या का समाधान भी है स्वाध्याय के लिए तीन बातें आवश्यक है एकाग्रता,नियमितता व निर्विकारिता तभी स्वाध्याय का सम्यक परिणाम आता है आचार्य महाप्रज्ञ जी का प्रसंग बताते हुए कहा कि स्वाध्याय से व्यक्ति की दृष्टि बदल जाती है जीवन में विकास का पथ खुल जाता है।
इस अवसर पर साध्वी कमलयशा जी ने विषय की प्रस्तुति करते हुए स्वाध्याय की महत्ता बतायी।साध्वी स्नेहप्रभा जी ने भगवान सुमतिनाथ जी के जीवन पर प्रकाश डाला।
राजलदेसर का श्रावक समाज पर्यूषण साधना में अच्छी धर्माराधना कर रहा है महापर्व में उपस्थिति सराहनीय है।