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जीवन में रहे ईमानदारी : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण*

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- विधायक राम कदम सहित गणमान्यों ने किया शांतिदूत का स्वागत

- पंचदीवसीय प्रवास के अंतिम दिन आचार्यश्री ने धर्ममय जीवन जीने के लिए किया प्रेरित  

रविवार, घाटकोपर (पूर्व), मुम्बई।    

अध्यात्म जगत के महासूर्य संत शिरोमणि अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण का पांच दिवसीय प्रवास घाटकोपर वासियों के लिए मानों उत्सव का रूप लेकर आया। पांच दिवसीय प्रवास में जहां विभिन्न कार्यक्रमों का समायोजन हुआ वही सिर्फ जैन ही नहीं अपितु जैनेत्तर वर्ग भी आचार्य श्री के के प्रवचन श्रवण हेतु लालायित दिखा। गत दिवस शनिवार शाम सात बजे सामूहिक सामायिक का दृश्य देखकर तो ऐसा लग रहा था मानों प्रवास स्थल का विशाल स्थानक ही छोटा पड़ गया हो। हर ओर श्रावक श्राविकाएं सामायिक की आराधना कर रहे था। रविवार को भी सुबह से शाम तक मुंबई वासियों का बड़ी संख्या में दर्शन सेवा हेतु आवागमन रहा। गुरुदेव के पावन चरणों से पांच दिनों में घाटकोपर का कोना कोना पावन बन गया। आगे पुज्यप्रवर का कल विक्रोली में दो दिवसीय प्रवास हेतु पदार्पण होगा। सभी क्षेत्र वासियों में आचार्य श्री के आगमन को लेकर विशेष उत्साह का माहोल बना हुआ है। 

धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री के कहा – शास्त्रों में सत्य को सारभूत बताया गया है व धर्म को उत्कृष्ट मंगल माना गया है। धर्म का एक रूप है अहिंसा। साधु के लिए तो अहिंसा महाव्रत है। सर्व जीवों के प्रति संयम की वृति रहे। अहिंसा के लिए जीव और अजीव दोनों को जानना जरूरी है। जैन धर्म में तो बहुत सूक्ष्मता से अहिंसा के प्रति ध्यान दिया गया है। हरियाली में अतिसूक्ष्म जीव होते हैं साधुओं के लिए उसपर चलना भी वर्जनीय है। बारिश के पानी में भी सूक्ष्म जीव होते है, इसलिए बारिश में साधु कही बाहर नहीं जाते। रात्रि भोजन विरमण भी अहिंसा के अंर्तगत ही आता है। साथ ही संयम भी जुड़ा हुआ है। साधु चर्या में तो भिक्षा भी अलग अलग घरों से लाई जाती है। जिस प्रकार भ्रमर अलग अलग पुष्पों से रस ग्रहण करता है उसी प्रकार साधु गृहस्थ के लिए बना हुआ आहार भिक्षा रूप में लाते है।

गुरुदेव ने आगे कहा कि ईमानदारी भी धर्म का अंग है। अगर झूठ बोलना और चोरी करना जीवन में ना हो तो मानों ईमानदारी जीवन में आगयी। विश्वास भी उसी का कायम होता है जो ईमानदार होता है। झूठ बोलने वाले का कोई विश्वास नही करता। आध्यात्म में मोक्ष परम लक्ष्य है। राग-द्वेष से मुक्ति ही वीतरागता है। जीवन व्यवहार में अहिंसा, नैतिकता, ईमानदारी रहे। जीवन धर्ममय बने यह काम्य है।

इस अवसर पर राजयोगी ब्रम्हकुमार श्री निकुंज भाई, स्थानीय विधायक श्री राम कदम ने आचार्य श्री के प्रति अपनी भावाभिव्यक्ति दी। वैज्ञानिक प्रो. केपी मिश्र ने भी अपने विचार रखे। अभिव्यक्ति के क्रम में प्रवास व्यवस्था समिति मुंबई अध्यक्ष श्री मदन तातेड, घाटकोपर सभाध्यक्ष श्री शांतिलाल बाफना, स्थानक वासी समाज से मुकेश भाई ने वक्तव्य दिया। तेरापंथ किशोर मंडल, कन्या मंडल ने पृथक पृथक प्रस्तुति दी। 


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