– प्रकाश पर्व दीपावली पर शांतिदूत ने दी प्रज्ञा से ज्योतित होने की प्रेरणा
- वृहद मंगलपाठ में उमड़ा जन समूह
घोड़बंदर रोड, मुंबई।जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य में ज्योति पर्व दीपावली का समायोजन हुआ। सायंकाल में दीपावली पर गुरुदेव द्वारा वृहद मंगलपाठ सुनने श्रद्धालु बड़ी संख्या में तीर्थंकर समावसरण में उपस्थित थे। मुंबई वासियों के लिए यह प्रथम अवसर था जब दीपावली का वृहद मांगलिक अपने शहर में अपने गुरु से सुनने का प्रत्यक्ष अवसर प्राप्त हो रहा था। प्रातः प्रवचन में हाजरी का भी उपक्रम रहा। जिसमें गुरुदेव ने मर्यादा पत्र का वाचन कर चतुर्विध धर्मसंघ को मर्यादा की स्मारणा कराई। इस अवसर पर 'शासन श्री' साध्वी श्री चांदकुमारी जी (लाडनूं) की स्मृति सभा भी आयोजित हुई।
मंगल देशना देते हुए युगप्रधान आचार्य श्री ने कहा – दीपावली का पर्व भगवान महावीर और भगवान राम से जुड़ा हुआ पर्व है। एक ओर इसका बाह्य पक्ष है तो आध्यात्मिक पक्ष भी है। बाहर का दीप जले तो क्या न जले तो क्या हम भीतर का दीप जलाने का प्रयास करे। हमारे भीतर ज्ञान क्या दीप जले, तप की तेजस्विता जीवन में आए। भगवान महावीर ने साढ़े बारह वर्षों तक तपस्या की। तपस्या वह भी निष्काम, कोई कामना जुड़ी हुई नहीं। उसी तपस्या का महत्व है जिसके साथ कोई कामना ना जुड़ी हुई हो। गुरुदेव ने आगे कहा कि हम भीतर की प्रज्ञा जागृत करे। दीपावली पर आतिशबाजी होती है, हमारे भीतर ऐसी आतिशबाजी हो जिससे कर्मों का नाश हो जाए। बाहरी पटाखे आदि तो पर्यावरण को भी अशुद्ध कर सकते है, इनसे हिंसा भी जुड़ी हुई है। हम भीतर के दीप को प्रज्वलित करे। ज्ञान का प्रकाश प्रकाशित हो जाए तो जीवन सुसज्जित बन सकता है।
कार्यक्रम में मुख्यमुनि महावीर कुमार जी,साध्वी प्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी,साध्वीवर्या संबुद्धयशा जी ने सारगर्भित विचार व्यक्त किए। साध्वी श्री जिनप्रभा,साध्वी आरोग्यश्री जी,साध्वी श्री विशालयशा ने भावाभिव्यक्ति दी।साध्वी वृंद ने सामूहिक गीत का भी संगान किया।
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