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कविता:प्रतिभा बोथरा

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जड़े कमजोर थी या हवाएं तेज
, क्या था जो यह सह न सका,,,,
बस खड़े-खड़े ही गिर  गया,
कौन सा दर्द ये कह ना सका,,,,
दे रही है सबक कुदरत हमें,
मजबूती के बिना कोई रह न सका,,,,
कर लिया सशक्त अपनी नींव को जिसने,
वह बह ना सका वह ढह ना सका,,,,,,

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